उत्तराखंड में बायो टूरिज्म और ग्राम संसाधन आधारित स्वरोजगार की असीम संभावनाएं : मैठाणी

Team PahadRaftar

उत्तराखंड में बायो टूरिज्म और ग्राम संसाधन आधारित स्वरोजगार की असीम संभावनाएं

श्री गुरू रामराय यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड कॉमर्स स्टडीज़ एंड इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर द्वारा आयोजित इंटरप्रन्योरशिप कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण स्वरोजगार ग्राम संसाधन आधारित रोजगार विषय पर बोलते हुए कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में बोलते हुए आगाज़ फैडरेशन पीपलकोटी के अध्यक्ष एवं संस्थापक जेपी मैठाणी ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में भारत सर्वाधिक युवाओं का देश है। इसलिए हम सभी को स्थानीय संसाधन आधारित स्वरोजगार को अपनाने की बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में बायोटूरिज़्म और बायोटूरिज़्म पर आधारित स्वरोजगार के अनेक संसाधन मौजूद हैं। नेचर गाइड, स्टोरी टेलिंग, होम स्टे के साथ-साथ माउंटेन मिलेट, ऑर्गेनिक रूप से उगाई गयी दालों, कलिनरी हर्ब्स, जड़ी-बूटी ही नहीं बल्कि जंगली फलों जैसे किल्मोड़, बेड़ू, काफल, बुरांस को भी स्वरोजगार के रूप में अपनाया जा सकता है। उत्तराखण्ड के चार धामों में रिंगाल/ हिमालयी बांस से बनी टोकरियां स्वरोजगार का बेहतर साधन हो सकती हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान करते हुए कहा कि हमें सरकारी नौकरियों का मोह त्याग कर ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-छोटे उद्यम स्थापित करने होंगे।जड़ी-बूटी कृषि, औद्योगिक भांग, हिमालयन नेटल, भीमल आधारित उत्पादों की देश-विदेश में बहुत मांग है।

उत्तराखण्ड के पर्वतीय ग्रामीण अंचलों में उन्नत प्रकार के फल, जड़ी-बूटी, के साथ-साथ मोटे अनाज आधारित उद्योग, फल संरक्षण पलायन को रोकने में सहायक हो सकते हैं।
श्री मैठाणी ने कहा कि आज उनकी संस्था के कार्यक्रमों से डेढ़ हजार से अधिक किसानों को जैविक खेती, जड़ी-बूटी की खेती और नर्सरी के कार्यक्रमों से जोड़कर लाभ पहुँचाया जा रहा है। यही नहीं एडवेंचर टूरिज़्म और होम स्टे भी रोजगार का बेहतर संसाधन है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को पीपलकोटी में स्थापित किये गये बायोटूरिज़्म पार्क और रिंगाल काष्ठ शिल्प आधारित ग्रोथ सेंटर के बारे में जानकारी दी। और एम.बी.ए. के छात्रों का आह्वाहन करते हुए कहा जब तक हम अपने उद्यम विकसित नहीं करते तब तक पलायन और बेरोजगारी को कम नहीं किया जा सकता। यह समय की मांग है कि शिक्षा पद्धति में परिवर्तन कर युवाओं को स्वरोजगार में जोड़ा जाना चाहिए।
इस कार्यक्रम के आयोजन में डीन प्रोफेसर श्रीमती पूजा जैन, एस. एम. सी. एस., इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेंटर के निदेशक प्रो0 द्वारिका प्रसाद मैठाणी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर डॉ कुमुद सकलानी, डॉ मीनू, डॉ0 मिन्नी आदि अध्यापक उपस्थित रहे।

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