लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : मदमहेश्वर घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी व रासी गाँव के मध्य विराजमान भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में इन दिनों पौराणिक जागरों के गायन के साथ प्रतिदिन महिलाओं के कीर्तन भजनों से रासी गाँव सहित मदमहेश्वर घाटी का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है।
मां राकेश्वरी कीर्तन मण्डली के सहयोग से शाम के समय 6 बजे से लेकर सात बजे तक आयोजित कीर्तन भजनों में समस्त गांव की महिलायें शामिल होकर धार्मिक भजनों के माध्यम से भगवती राकेश्वरी सहित 33 कोटि देवी – देवताओं का आवाहन कर विश्व समृद्धि व क्षेत्र की खुशहाली की कामना कर रही है।
बता दें कि मदमहेश्वर घाटी के रासी गाँव में समय – समय पर आध्यात्मिक, धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। युगों से चली परम्परा के अनुसार रासी गाँव के मध्य विराजमान भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में प्रति वर्ष सावन व भाद्रपद महीने में पौराणिक जागरों के माध्यम से देवभूमि उत्तराखंड के प्रवेश द्वार हरि के द्वार हरिद्वार से लेकर चौखम्बा हिमालय तक विराजमान 33 कोटि देवी – देवताओं के साथ शिव – पार्वती, भगवान श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं का गुणगान तथा महाभारत का वर्णन पौराणिक जागरों के माध्यम से किया जाता है। राकेश्वरी मन्दिर रासी में इन दिनों पौराणिक जागरों के माध्यम से शिव – पार्वती की जीवन लीलाओं का वर्णन पौराणिक जागरों के माध्यम से किया जा रहा है! पौराणिक जागरों के साथ महिलाओं द्वारा कीर्तन भजनों के आयोजन से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। राकेश्वरी कीर्तन मण्डली अध्यक्ष शीला देवी ने बताया कि कीर्तन मण्डली द्वारा प्रतिदिन शाम को कीर्तन भजनों के माध्यम से सभी देवी – देवताओं का आवाहन कर मनौती मांगी जा रही है। तीलू रोतेली पुरस्कार से सम्मानित जीवन्ती देवी खोयाल ने बताया कि पौराणिक जागरोंं व धार्मिक भजनों के गायन से रासी गाँव का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। महिला मंगल दल अध्यक्ष गीता देवी ने बताया कि राकेश्वरी मन्दिर में सायंकालीन कीर्तन भजनों में गाँव की सभी महिलायें पूर्ण सहयोग कर रही है। मण्डली उपाध्यक्ष सोनिया देवी ने बताया कि राकेश्वरी मन्दिर में पौराणिक जागरों की परम्परा युगों पूर्व की है! कोषाध्यक्ष नीता देवी ने बताया कि रासी गाँव में समय – समय पर आध्यात्मिक, धार्मिक, पौराणिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन समय – समय पर सभी ग्रामीणों के सहयोग से सम्पन्न होते हैं।