लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : हिमालयी क्षेत्रों में लगातार बर्फबारी होने से ऊंचाई वाला भू-भाग वर्तमान समय में भी हिमाच्छादित होने से 6 माह बुग्यालों में प्रवास करने वाले भेड़ पालकों के सम्मुख चारा पत्ती का संकट बना हुआ है जिससे भेड़ पालक बुग्यालों के बजाय निचले इलाकों में डेरा जमाये हुए हैं। भेड़ पालकों के अनुसार इस वर्ष जनवरी व फरवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से निचले क्षेत्रों में भी चारा पत्ती का संकट खड़ा होने लगा है तथा आने वाले दिनों में यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो भेड़ पालकों के सन्मुख चारा पत्ती का और संकट पैदा हो सकता है।
बता दें कि सीमांत गांवों के भेड़ पालक आज भी भेड़ पालन व्यवसाय पर ही निर्भर रहते हैं तथा युगों से चली आ रही परम्परा के अनुसार भेड़ पालक आज भी भेड़ पालन व्यवसाय को जीवित रखें हुए हैं। दशकों से चली आ रही परम्परा के अनुसार भेड़ पालक प्रति वर्ष अप्रैल माह में गांवों से 6 माह प्रवास के लिए सुरम्य मखमली बुग्यालों के लिए अग्रसर हो जाते है तथा मई माह के दूसरे सप्ताह तक बुग्यालों में पर्दापण कर देते थे तथा जनवरी व फरवरी माह में पर्याप्त मात्रा में बर्फबारी व बारिश होने के बाद मई माह में सुरम्य मखमली बुग्यालों में पूर्ण रूप से नव ऊर्जा का संचार होने लगता था तथा भेड़ पालकों के भेड़ों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा पत्ती मिल जाती थी! इस वर्ष कालीमठ व मदमहेश्वर घाटी के ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार बर्फबारी होने से ऊंचाई वाला भूभाग हिमाच्छादित होने से भेड़ पालकों के सम्मुख चारा पत्ती का संकट बना हुआ है जिससे भेड़ पालकों निचले इलाकों में डेरा जमाये हुए है! भेड़ पालक प्रेम भट्ट ने बताया कि इस वर्ष जनवरी व फरवरी माह में पर्याप्त मात्रा में बर्फबारी व बारिश न होने से निचले इलाकों में भी चारा पत्ती का संकट बना हुआ है तथा ऊंचाई वाले इलाके हिमाच्छादित होने से ऊंचाई वाले इलाकों के लिए अग्रसर होना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है! भेड़ पालक बीरेन्द्र धिरवाण ने बताया कि पूर्व में हम मई माह के दूसरे सप्ताह तक विसुणीताल की ओर अग्रसर हो जाते थे मगर इस बार विसुणीताल का भूभाग हिमाच्छादित होने से निचले इलाकों में डेरा जमाये हुए हैं तथा जनवरी व फरवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से निचले इलाकों में भी चारा पत्ती का संकट खड़ा होने लगा है! प्रधान बुरुवा सरोज भटट ने बताया कि ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार बर्फबारी होने के कारण बुग्यालों में नव ऊर्जा का संचार न होने से बुग्यालों में चारा पत्ती का संकट बना हुआ है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच पूर्व अध्यक्ष मदन भटट ने बताया कि जनवरी व फरवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने का खामियाजा काश्तकारों के साथ भेड़ व पशु पालकों को भी भुगतना पड़ रहा है।