ऊखीमठ : केदारघाटी में मौसम अनुकूल बारिश न होने से रबी की फसल चौपट

Team PahadRaftar

लक्ष्मण नेगी 

ऊखीमठ : केदारघाटी के ऊंचाई वाले इलाकों में विगत कई दिनों से बादल छाने से सम्पूर्ण केदार घाटी शीतलहर की चपेट में आ गयी है तथा जनवरी माह के अन्तिम सप्ताह में भी हिमालय बर्फ विहीन होने से पर्यावरणविद खासे चिन्तित हैं तथा तुंगनाथ घाटी में भी मौसम के अनुकूल बर्फबारी न होने से घाटी का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो गया है। बर्फबारी के बाद सैलानियों व पर्यटकों से गुलजार रहने वाली तुंगनाथ घाटी वीरान है। मौसम के अनुकूल बारिश न होने से प्राकृतिक स्रोतों के जल स्तर पर भारी गिरावट देखने को मिल रही है तथा इस वर्ष कई क्षेत्रों में मार्च महीने में ही जल संकट गहरा सकता है।

विगत एक दशक पूर्व की बात करें तो दिसम्बर व जनवरी महीने में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश होने से प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने लगता था मगर इस वर्ष जनवरी माह के अन्तिम सप्ताह में भी मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से प्रकृति में भी रूखापन देखने को मिल रहा है। निचले क्षेत्रों में मौसम के बारिश न होने से काश्तकारों की रवि की फसल खासी प्रभावित हो गयी है तथा काश्तकारों को भविष्य की चिन्ता सताने लगी है। दिसम्बर व जनवरी माह में हिमाच्छादित रहने वाले सीमांत गांवों के पैदल मार्गों का सफर धूल भरा होना भविष्य के लिए शुभ संकेत नही है। गौण्डार के पूर्व प्रधान भगत सिंह पंवार ने बताया कि सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्रों में विगत कई दिनों से बादल छाने से सम्पूर्ण क्षेत्र शीतलहर की चपेट में आने के कारण तापमान में भारी गिरावट महसूस की जा रही है तथा सीमांत गांवों के ग्रामीण घरों में कैद होने के लिए विवश हैं।  भेड़ पालक बीरेन्द्र धिरवाण ने बताया कि विगत वर्षों में दिसम्बर व जनवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश होने से प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने लगता था मगर इस वर्ष जनवरी माह के अन्तिम सप्ताह में भी बर्फबारी व बारिश न होने से आने वाले महीनों में पशुओं के लिए चारा पत्ती का संकट हो सकता है तथा भेड़ पालन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है। मद्महेश्वर विकास मंच के पूर्व अध्यक्ष मदन भट्ट ने बताया कि जनवरी माह में बर्फबारी से हिमाच्छादित रहने वाला भू-भाग बर्फ विहीन है तथा प्रकृति में रूखापन महसूस होने लगा है। तुंगनाथ घाटी के व्यापारी मोहन मैठाणी ने बताया कि मौसम के अनुकूल बर्फबारी न होने से घाटी का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो गया है तथा जनवरी माह में सैलानियों व पर्यटकों से गुलजार रहने वाली तुंगनाथ घाटी विरान है! जल संस्थान के अवर अभियन्ता बीरेन्द्र भण्डारी ने बताया कि ऊंचाई वाले इलाकों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी न होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर भारी गिरावट आने लगी है तथा अधिकांश क्षेत्रों में इस बार मार्च महीने में जल संकट गहराने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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