लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : तुंगनाथ घाटी के जनप्रतिनिधियों व विभिन्न सामाजिक संगठनों ने गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत,केदारनाथ विधायक श्रीमती शैलारानी रावत, पूर्व विधायक / भाजपा महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल, जिलाधिकारी, उप जिलाधिकारी, उप वन संरक्षक केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग गोपेश्वर तथा उप वन संरक्षक रुद्रप्रयाग वन प्रभाग को ज्ञापन भेजकर तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों पर आदि गुरु शंकराचार्य के समय से हक – हकूकधारियों के हकहकूकों को यथावत रखने, चोपता – तुंगनाथ पैदल मार्ग के दोनों तरफ के भू-भाग को 200 मीटर सेन्चुरी वन अधिनियम तथा बनियाकुण्ड क्षेत्र में मोटर व पैदल मार्ग के दोनों तरफ के 200 मीटर के क्षेत्र को वन आरक्षी से मुक्त रखने तथा तुंगनाथ घाटी के पर्यावरण संरक्षण के साथ ही तुंगनाथ घाटी के यात्रा पड़ावों का चहुंमुखी विकास करने की मांग की है। सभी जनप्रतिनिधियों व उच्चाधिकारियों को भेजे ज्ञापन का हवाला देते हुए तुंगनाथ घाटी के जनप्रतिनिधियों व विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों ने मांग करते हुए कहा कि बनियाकुण्ड क्षेत्र को मोटर मार्ग के दोनों तरफ तथा पैदल मार्ग के 200 मीटर के भू-भाग को वन आरक्षी क्षेत्र से तथा चोपता – तुंगनाथ पैदल मार्ग को 200 मीटर सेन्चुरी वन अधिनियम से मुक्त रखा जाय। तृतीय केदार तुंगनाथ धाम में आदि गुरु शंकराचार्य के समय से अपने धार्मिक परम्पराओं का निर्वहन करने वाले हक – हकूकधारियों सहित यात्रा पड़ावों पर युगों व्यवसाय करने वाले के अधिकारों को यथावत रखा जाय। कहा कि तुंगनाथ यात्रा पड़ावों पर युगों से स्थानीय लोग छानियों में व्यवसाय करते आ रहें हैं मगर वर्तमान समय में बेरोजगार युवाओं द्वारा छानियों को विकसित किया गया है इसलिए वन विभाग द्वारा व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है युवाओं के हितों को देखते हुए व्यापारियों के अधिकार यथावत रखा जाय। कहा कि तत्कालीन जिलाधिकारी मनुज गोयल द्वारा बनियाकुण्ड में इको डाइवर् सिटी पार्क व तत्कालीन उप वन संरक्षक वैभव कुमार द्वारा भी बनियाकुण्ड व पंगेर में ऐनोपी प्लाट लगाने के लिए स्थानीय व्यापारियों व युवाओं से सुझाव मांगें थे मगर उनका स्थानांतरण होने के कारण दोनों योजनाएं धरातल पर नहीं उतरी है, इसलिए यदि दोनों योजनाओं को धरातल पर उतारने की सामूहिक पहल होती है तो स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ ही युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होगें तथा गांवों होने वाले पलायन रोकने में योजनाएं मील का पत्थर साबित होगी। कहा कि मक्कूबैण्ड से चन्द्र शिला तक का भू-भाग केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग तथा वन आरक्षी होने के कारण तुंगनाथ घाटी में विधुत संचार, पार्किंग, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं जुट पा रही है। उनका कहना है कि यदि केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के सेन्चुरी वन अधिनियम व वन आरक्षी क्षेत्र से मुक्त किया जाता है तो तुंगनाथ घाटी में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होने से स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। ज्ञापन में प्रधान मक्कू विजयपाल नेगी, प्रधान पावजगपुडा़ अरविन्द रावत, वन पंचायत सरपंच विजय सिंह चौहान, सामाजिक कार्यकर्ता सतीश मैठाणी, शशिभूषण मैठाणी, विनोद सिंह, मनोज सिंह, विशन सिंह, शिशुपाल सिंह, मोहन प्रसाद मैठाणी, सुमन चौहान, आशीष मैठाणी, मदन सिंह चौहान, उमेद सिंह राणा, प्रमोद सिंह रावत, सतवीर सिंह चौहान, लाखी लाल के हस्ताक्षर मौजूद रहे।