ऊखीमठ : तुंगनाथ धाम में तीर्थयात्रियों की संख्या ने बनाया रिकॉर्ड, अब तक 80 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने किए बाबा के दर्शन

Team PahadRaftar

लक्ष्मण नेगी

ऊखीमठ : हिमालय में सबसे ऊंचाई पर विराजमान तृतीय केदार तुंगनाथ धाम में पहली बार तीर्थ यात्रियों के आंकड़े ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। तुंगनाथ घाटी में लगातार हो रही झमाझम बारिश से भुजगली से चन्द्र शिला तक के भू-भाग में फैले सुरम्य मखमली बुग्याल हरियाली से आच्छादित होने के कारण तुंगनाथ यात्रा पड़ावों की खूबसूरती बढ़ने लगी है। मन्दिर समिति से मिली जानकारी के अनुसार तुंगनाथ धाम में मात्र 81 दिनों में 80 हजार, 979 तीर्थ यात्रियों ने पूजा – अर्चना व जलाभिषेक कर विश्व समृद्धि की कामना की है। इस वर्ष तुंगनाथ धाम में भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही होने से तुंगनाथ घाटी के तीर्थाटन पर्यटन व्यवसाय में भारी इजाफा होने के साथ मन्दिर समिति की आय में भी वृद्धि हुई है। तुंगनाथ घाटी में 25 जून के बाद मानसून लौटने के बाद तुंगनाथ धाम पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में हल्की गिरावट देखने को मिली है मगर 16 जुलाई से शुरू हुए शिव जी के पवित्र सावन मास शुरू होते ही शिव भक्तों की आवाजाही में भारी इजाफा हो होने लगा है।

बता दे कि इस वर्ष विगत 10 मई को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये गये थे तथा मात्र 81 दिनों में तुंगनाथ धाम में 45 हजार 668 पुरूषों, 26 हजार 383 महिलाओं, 8 हजार 323 नौनिहालों व 569 साधु – सन्यासियों व 36 विदेशी सैलानियों ने तुंगनाथ धाम पहुंच कर पुण्य अर्जित किया। मन्दिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि तुंगनाथ धाम में पहली बार मात्र 81 दिनों में तीर्थ यात्रियों का आंकड़ा 80 हजार के पार पहुंचा है तथा कपाट बन्द होने तक यह आंकडा 1 लाख 35 हजार के पार पहुंच सकता है। तुंगनाथ धाम प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी ने बताया कि इस वर्ष भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने के बाद से ही तीर्थ यात्रियों की आवाजाही भारी संख्या में शुरू हो गयी थी तथा अभी तक निरन्तर जारी है। उन्होंने बताया कि मानसून लौटने के बाद तुंगनाथ धाम में आने वाले तीर्थ यात्रियों पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही में हल्की गिरावट तो देखने को मिल रही है मगर सावन मास शुरू होते ही तीर्थ यात्रियों की आवाजाही में भारी वृद्धि देखने को मिल रही है तथा सावन मास के प्रथम सोमवार को लगभग 2200 तीर्थ यात्रियों ने भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग पर जलाभिषेक कर मनौती मांगी। उन्होंने बताया कि बताया कि सावन मास के दूसरे सोमवार को भी भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों के तुंगनाथ धाम पहुंचने की सम्भावना बनी हुई है।

श्री नेगी ने बताया कि चोपता से सीधे चन्द्र शिला जाने वाले पर्यटकों व सैलानियों को मन्दिर समिति के रिकार्ड में दर्ज नही किया गया है मन्दिर समिति के रिकॉर्ड में उन्हें तीर्थ यात्रियों को दर्ज किया गया है जिन्होंने मन्दिर में पहुंचकर पूजा – अर्चना व जलाभिषेक किया है ! इन्दौर निवासी समृति ने बताया कि इन दिनों भुजगली से चन्द्र शिला का भू-भाग हरियाली से आच्छादित होने के कारण भुजगली से चन्द्र शिला का भूभाग के प्राकृतिक सौंदर्य पर चार चांद लगे हुए है इसलिए तुंगनाथ घाटी से लौटने का मन नहीं कर रहा है। तुंगनाथ धाम व तुंगनाथ घाटी के शीर्ष पर विराजमान चन्द्र शिला की खूबसूरती से रुबरु होने के बाद ऊखीमठ लौटे बैगलोर निवासी श्यामा कृष्णा ने बताया कि चन्द्र शिला के शिखर से प्रकृति नयनाभिराम से सैलानी रूबरू होता है वह हमेशा मानस पटल पर अंकित रहेगा। मन्दिर समिति के चन्द्र मोहन बजवाल ने बताया कि भुजगली से चन्द्र शिला का भूभाग हरियाली से आच्छादित होने से तीर्थ यात्री, पर्यटक व सैलानी बुग्यालों की हरियाली से रूबरू होकर अपने को धन्य महसूस कर रहे हैं।

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