लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : केदारघाटी के पग – पग में इन दिनों बसन्त ऋतु अपने पूर्ण यौवन पर है। बसन्त ऋतु के पूर्ण यौवन पर होने के कारण प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने लगा है।
केदार घाटी का सम्पूर्ण भू-भाग फ्यूंली, बुरांस सहित अनेक प्रजाति के पुष्पों से आच्छादित होने के कारण यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य पर चार चांद लगने शुरू हो गयें हैं तथा प्रवासी पक्षियों ने केदार घाटी की ओर रूख करना शुरू कर दिया है तथा ब्रह्म बेला पर प्रकृति की छाव में प्रवासी पक्षियों की चहक अति प्रिय लग रही है। केदार घाटी के पग – पग पर प्रकृति के नव श्रृंगार करने से यहाँ का हर भू-भाग नव नवेली दुल्हन की तरह सजने लगा है। गढ़ गौरव नरेन्द्र सिंह नेगी सहित देवभूमि उत्तराखंड के साहित्यकारों व संगीतकारों ने बसन्त ऋतु की महिमा का गुणगान बड़े मार्मिक तरीके से किया है तथा बसन्त ऋतु में घियाणियों के मायके आगमन का वृतान्त संगीतकारों ने खुदेड़ गीतों से किया है।
मदमहेश्वर विकास मंच के पूर्व अध्यक्ष मदन भट्ट ने बताया कि इन दिनों केदार घाटी में बसन्त ऋतु पूर्ण यौवन पर है तथा प्रकृति में धीरे – धीरे नव ऊर्जा का संचार होने लगा है इसलिए यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य पर चार चांद लगने शुरू हो गयें है। जिला पंचायत सदस्य परकण्डी रीना बिष्ट ने बताया कि बसन्त ऋतु धियाणियों के मायके आगमन व ऋतु परिवर्तन का द्योतक माना गया है क्योंकि जब – जब बसन्त ऋतु पूर्ण यौवन पर होता है तब – तब ससुराल में लड़कियों की मायके की याद बहुत सताती है। उन्होंने बताया कि गढ़ गौरव नरेन्द्र सिंह नेगी ने बसन्त ऋतु की महिमा का गुणगान बहुत मार्मिक तरीके से किया है! केदार घाटी की समाजसेविका सुमन जमलोकी ने बताया कि बसन्त पंचमी से ही बसन्त ऋतु का आगमन हो जाता है तथा बसन्त ऋतु से ऋतु परिवर्तन होना शुरू हो जाता है :उन्होंने बताया कि इन दिनों केदार घाटी के पग – पग अनेक प्रजाति के पुष्पों से सुसज्जित होने लगा है। प्रधान भीगी शान्ता रावत ने बताया कि बसन्त ऋतु के अन्तर्गत ही चैत्र मास का आगमन होता है तथा चैत्र मास में ही नौनिहाल ब्रह्म बेला पर घरों की चौखटों में अनेक प्रजाति के पुष्प विखेर कर बसन्त आगमन का सन्देश देते हैं तथा चैत्र मास आठ गते तक घरों की चौखटों की पुष्प विखेरने की परम्परा युगों पूर्व की है। प्रधान पाली सरूणा प्रेमलता पन्त ने बताया कि बसन्त ऋतु आगमन के बाद प्रवासी पक्षी केदार घाटी की ओर रूख करने लगते हैं तथा चैत्र मास के बाद कफुवा, घुघूती , हिलांस सहित अनेक प्रजाति के पक्षियों की मधुर आवाज ब्रह्म बेला पर सुनने को मिलती है।