लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : विकासखण्ड के सीमान्त गाँव डिजिटल युग में भी संचार सुविधा से वंचित है। जबकि कालीमठ घाटी के जाल मल्ला क्षेत्र में लड़खडाती संचार सुविधा का खामियाजा वहाँ के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। कुछ गांवों को संचार सुविधा से जोड़ने के लिए संचार निगम व निजी कम्पनियों द्वारा मोबाइल टावर लगा तो दिये है मगर उन टावरों की संचार सेवा शुरू न होने से ग्रामीणों की का इन्तजार खत्म नही हो रहा है।
बता दे कि मद्महेश्वर घाटी की सीमान्त ग्राम पंचायत गडगू व मदमहेश्वर यात्रा के आधार शिविर गौण्डार, कालीमठ घाटी के चिलौण्ड व चौमासी तथा केदार घाटी की सीमान्त ग्राम पंचायत तोषी आज भी संचार सुविधा से वंचित है। मदमहेश्वर घाटी के गडगू व गौण्डार गांव को संचार सुविधा उपलब्ध कराने के लिए संचार निगम व निजी कम्पनियों द्वारा मोबाइल टावर लगा तो दिये हैं मगर उन मोबाइल टावरों की संचार सेवाएं कब शुरू होगी यह भविष्य के गर्भ में है। कालीमठ घाटी के चिलौण्ड व चौमासी तथा केदार घाटी की सीमान्त ग्राम पंचायत तोषी गांव राज्य गठन के 24 वर्षों बाद भी संचार सुविधा से वंचित है। इन गांवों में कुछ स्थानों पर मीलों दूर लगे मोबाइल टावर सिगनल तो देते हैं मगर अपनों से स्पष्ट वार्ता नहीं हो पाती है इसलिए ग्रामीणों को अपने चित – परिचितों से वार्ता करने के लिए ऊंची ऊंचाई या फिर पेड़ की शाखाओं का सहारा लेना पड़ता है। कालीमठ घाटी के जात मल्ला क्षेत्र में इन दिनों संचार सुविधा के बार – बार बाधित होने से उपभोक्ताओं में आक्रोश बना हुआ है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के पूर्व अध्यक्ष मदन भट्ट का कहना है कि संचार युग में सीमान्त गांवों में आज भी संचार सुविधा का अभाव बना हुआ है तथा ग्रामीणों द्वारा लगातार सीमान्त गांवों को संचार सुविधा से जोड़ने की मांग की जा रही है फिर भी सरकारी हुक्मरानों ग्रामीणों की फरियाद सुनने को राजी नहीं है। प्रधान जाल मल्ला त्रिलोक रावत ने बताया कि क्षेत्र में विगत कई दिनों से संचार सेवा के बार – बार बाधित होने से ग्रामीणों को संचार सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा है! क्षेत्र पंचायत सदस्य बलवीर रावत ने बताया कि क्षेत्र में लगे मोबाइल टावर शोपीस बने हुए है तथा ग्रामीण गुहार लगाते – लगाते थक चुकें हैं ।कांग्रेस कमेटी ब्लॉक अध्यक्ष अवतार नेगी का कहना है कि एक तरफ केन्द्र व प्रदेश सरकार सीमान्त गांवों के चहुंमुखी विकास के लिए दर्जनों हवाई घोषणायें कर रही है वही सीमान्त गाँव आज भी संचार सुविधा से वंचित है। उन्होंने कहा कि यदि सीमान्त क्षेत्रों के साथ मदमहेश्वर व तुंगनाथ धामों सहित यात्रा पड़ावों को संचार सुविधा से जोड़ा जाता है तो तीर्थ यात्रियों व सैलानियों की आवाजाही में भारी वृद्धि होने के साथ स्थानीय तीर्थाटन – पर्यटन व्यवसाय में भी भारी इजाफा होगा।