लक्ष्मण सिंह नेगी
ऊखीमठ : पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात व चन्द्र शिला की तलहटी में बसे भगवान तुंगनाथ की यात्रा का आगाज होने में एक सप्ताह का समय शेष रह गया है। आगामी 7 मई को शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ से भगवान तुंगनाथ की यात्रा का आगाज हो जायेगा। मन्दिर समिति व मक्कू गाँव के हक – हकूकधारियों द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गयी है तथा मन्दिर समिति का एक दल तुंगनाथ धाम की सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लेकर भी लौट गया है। जानकारी देते हुए मन्दिर समिति वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि आगामी 7 मई से भगवान तुंगनाथ की यात्रा का आगाज हो जायेगा, तथा 7 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ से कैलाश के लिए रवाना होगी। तुंगनाथ मन्दिर समिति प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी ने बताया कि 7 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली प्रथम रात्रि प्रवास के लिए मक्कू गाँव के मध्य भूतनाथ मन्दिर पहुंचेगी जहां पर ग्रामीणों द्वारा पुढखी मेले का आयोजन कर भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली को नये अनाज का भोग अर्पित कर क्षेत्र के खुशहाली व विश्व समृद्धि की कामना की जायेगी। उन्होंने बताया कि 8 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मन्दिर में ही भक्तों को दर्शन देगी तथा 9 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मन्दिर से रवाना होकर पाव, चिलायाखोड, पनेर, बनियाकुण्ड यात्रा पड़वो पर भक्तों को आशीर्वाद देते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए तुंगनाथ यात्रा के आधार शिविर चोपता पहुंचेगी तथा 10 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना होकर सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए तुंगनाथ धाम पहुंचेगी तथा भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ के कपाट वेद ऋचाओं के साथ ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेगें! बाक्स न्यूज। भुजाओं की पूजा होती तुंगनाथ धाम में।
ऊखीमठ! पंच केदारों में तृतीय केदार तथा हिमालय में सबसे ऊंचाई पर विराजमान तुंगनाथ धाम में भगवान शंकर के भुजाओं की पूजा होती है! तुंगनाथ धाम से एक किमी ऊपर चन्द्र शिला शिखर विराजमान है। चन्द्र शिला शिखर में गंगा मैया का मन्दिर विराजमान है। चन्द्र शिला शिखर से जनपद रूद्रप्रयाग व चमोली की असंख्य पर्वत श्रृंखलाओं का दृश्यालोकन एक साथ किया जा सकता है। तुंगनाथ धाम में तीर्थ यात्रियों को मनौवाछित फल की प्राप्ति होती है। तुंगनाथ यात्रा के यात्रा पड़ाव भुजगली से लेकर तुंगनाथ धाम तक पैदल मार्ग के दोनों तरफ फैले भू-भाग को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है। इस भू-भाग में पर्दापण करने से भटके मन को अपार शान्ति मिलती है! बरसात ऋतु में इस भूभाग में अनेक प्रजाति के रंग – बिरंगे पुष्प खिलते है ! सेन्चुरी वन अधिनियम बना बाधक।
ऊखीमठ! तृतीय केदार तुंगनाथ धाम सहित यात्रा के चहुमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है परिणाम स्वरूप तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों पर संचार, विद्युत जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है! लगभग दो वर्ष पूर्व निवर्तमान गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत के अथक प्रयासों से चोपता व बनियाकुण्ड में संचार निगम के दो मोबाइल टावर लगाने की स्वीकृति तो मिली थी मगर मोबाइल टावरों के निर्माण में सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक होने से मोबाइल टावरों की फाइलें शासन – प्रशासन की आलमारियों में कैद होना स्वाभाविक ही है! मोबाइल टावरों का निर्माण कब होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है मगर तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों में संचार व विधुत सुविधा न होने से तुंगनाथ घाटी का तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय पर खासा असर देखने को मिल रहा है! कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ प्रदेश महामंत्री आनन्द सिंह रावत का कहना है कि यदि तुंगनाथ धाम सहित यात्रा पड़ावों संचार व विधुत सुविधा से लैस होते हैं तो मन्दिर समिति की आय में खासी वृद्धि होने के साथ तुंगनाथ घाटी के तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में इजाफा हो सकता है जिसका लाभ तुंगनाथ घाटी की यात्रा के आधार शिविर ऊखीमठ के व्यापारियों को भी मिल सकता है! कैसे पहुंचे तुंगनाथ धाम! देवभूमि उत्तराखंड के प्रवेश द्वार हरि के द्वार हरिद्वार से 204 किमी की दूरी तय करने के बाद बस, टैक्सी या निजी वाहन से तहसील मुख्यालय ऊखीमठ पहुंचा जा सकता है। तहसील मुख्यालय ऊखीमठ से 28 किमी दूरी बस, टैक्सी या निजी वाहन से तय करने के बाद तुंगनाथ यात्रा के आधार शिविर चोपता पहुंचा जा सकता है तथा चोपता से चार किमी दूरी तय करने के बाद पैदल तुंगनाथ धाम पहुंचा जा सकता है। रूद्रप्रयाग – गौरीकुण्ड नेशनल हिल स्टेशन भीरी – परकण्डी – मक्कू होते हुए भी चोपता पहुंचा जा सकता है। तुंगनाथ यात्रा के आधार शिविर चोपता में निर्धारित दरों पर घोड़े खच्चर भी उपलब्ध हो जाते हैं! तुंगनाथ यात्रा के बाद तीर्थ यात्री केदारनाथ या फिर बद्रीनाथ की यात्रा भी कर सकते हैं तथा परिवहन विभाग व यूनियन द्वारा निर्धारित किराये पर चोपता से गौरीकुण्ड, बद्रीनाथ, ऋर्षिकेश, हरिद्वार, गोपेश्वर, रूद्रप्रयाग व ऊखीमठ के लिए जीप, टैक्सी हर समय उपलब्ध रहती है।