लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : रूद्रप्रयाग – चोपता – पोखरी मोटर मार्ग पर करोड़ों रुपये की लागत से हो रहे डामरीकरण व विस्तारीकरण कार्य में गुणवत्ता को दर – किनार करने का मामला प्रकाश में आया है। ग्रामीणों द्वारा विभागीय अधिकारियों से कई बार शिकायत करने के बाद भी डामरीकरण की गुणवत्ता को दर किनार करने से विभागीय कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है। ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मोटर मार्ग पर हो रहा डामरीकरण गुणवत्ता के साथ नहीं किया गया तो ग्रामीणों को विभागीय अधिकारियों का घेराव करने के साथ डामरीकरण कार्य को बन्द करवाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग रूद्रप्रयाग डिवीजन की होगी।
बता दें कि केदारनाथ विधायक श्रीमती शैलारानी रावत के अथक प्रयासों से इन दिनों रुद्रप्रयाग – चोपता – पोखरी मोटर मार्ग पर लगभग 8 करोड़ की लागत से डामरीकरण व विस्तारीकरण का कार्य चल रहा है मगर विभाग द्वारा डामरीकरण कार्य मानकों के अनुरूप न किये जाने से ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है। इस बाबत ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों ने बुधवार को अधिशासी अभियन्ता को ज्ञापन सौंपकर शिकायत की थी मगर विभागीय अधिकारियों की तरफ से ग्रामीणों को कोरे आश्वासन ही मिले हैं। विभागीय मानकों के अनुसार मोटर मार्ग पर एक इंज डामरीकरण किया जाना था मगर विभाग द्वारा मात्र एक सेमी डामरीकरण कर इतिश्री की जा रही है। मोटर मार्ग पर डामरीकरण की गुणवत्ता को दरकिनार किये जाने से स्पष्ट हो गया है कि विभागीय अधिकारी मोटा कमीशन हजम करना चाहते हैं! जानकारी देते हुए तल्ला नागपुर महोत्सव समिति अध्यक्ष प्रताप मेवाल ने बताया कि मोटर मार्ग पर हो रहे निर्माण कार्यों में गुणवत्ता को दरकिनार किया जा रहा है तथा विभागीय अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी ग्रामीणों की मांगों को अनसुना किया जाना विभाग की मिलीभगत स्पष्ट होती है। पूर्व प्रधान महेन्द्र सिंह नेगी ने बताया कि मोटे कमीशन को डकारने के लिए विभागीय अधिकारी डामरीकरण कार्य में जानबूझकर गुणवत्ता को दरकिनार कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि डामरीकरण कार्य गुणवत्ता के साथ नहीं किया गया तो ग्रामीणों को डामरीकरण कार्य रुकवाने विभागीय अधिकारियों का घेराव करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग रूद्रप्रयाग डिवीजन की होगी। वहीं दूसरी ओर एई अरविन्द श्रीवास्तव का कहना है कि ग्रामीणों के चिल्लाने से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, हम ग्रामीणों के मानकों के बजाय अपने मर्जी के मानकों से डामरीकरण कार्य करवा रहे हैं।