लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : आबकारी व पुलिस विभाग की मिलीभगत से आगामी दीपावली के त्योहार के लिए धनतेरस की पूर्व सन्ध्या पर अंग्रेजी शराब का जखीरा क्यूजा घाटी पहुंच गया है!
क्यूजा घाटी के चप्पे – चप्पे में अवैध रूप से सप्लाई हो रही अंग्रेजी शराब की सप्लाई युवा पीढ़ी के लिए शुभ संकेत नही है। क्यूजा घाटी में कई वर्षों से हो रही अवैध शराब की सप्लाई से शराब माफिया खूब चांदी काटकर मालामाल बन हुए हैं। क्या क्यूजा घाटी में अवैध अंग्रेजी शराब का कारोबार सफेदपोश लोगों के संरक्षण में फल – फूल रहा है इन बात की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। क्यूजा घाटी के पग – पग पर शाम ढलते से शराबियों के हुडदंग से महिलाओं का घरों से निकलना दूभर हो रहा है! क्षेत्र में वर्षों से फल – फूल रहे अवैध अंग्रेजी शराब के विरोध में क्षेत्रीय जनता, जनप्रतिनिधि व विभिन्न सामाजिक संगठन सड़कों पर उतरने के लिए क्यों कतरा रहे हैं यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन समय – समय पर खानापूर्ति करने के लिए छापेमारी तो करता है मगर दोनों विभागों की छापेमारी खोदा पहाड़, निकला चूहा वाली कहावत को चरितार्थ करता है! स्थानीय सूत्रों की माने तो धनतेरस की पूर्व गुरुवार मध्य रात्रि को अंग्रेजी शराब का जखीरा क्यूजा घाटी पहुंच गया है तथा अंग्रेजी शराब के जखीरा मध्य रात्रि को जगह – जगह अवैध अंग्रेजी शराब की सप्लाई करता रहा। स्थानीय सूत्रों की माने तो शराब माफियाओं व आबकारी विभाग का क्यूजा घाटी में अवैध अंग्रेजी शराब सप्लाई करने के लिए कई वर्षों पूर्व का नाता रहा है इसलिए शराब माफिया क्यूजा घाटी में गांव की चौपालों तक पांव पसार चुके हैं। क्यूजा घाटी के किसी भी हिल स्टेशन में दिन – दहाड़े अवैध अंग्रेजी शराब की सप्लाई होना आम बात बनी हुई है। शराब ढलते ही शराबियों के हुडदंग से महिलाओं का घरों से निकलना दूभर हो रखा है। नाम न छापने की शर्त पर कुछ लोगों ने बताया कि गुरूवार मध्य रात्रि को तीन हल्के वाहनों से क्यूजा घाटी में अवैध अंग्रेजी शराब की सप्लाई की गयी। उन्होंने बताया कि क्यूजा घाटी के पग – पग अवैध सप्लाई होना आम बात हो गयी है तथा आबकारी विभाग समय पर क्यूजा घाटी का भ्रमण तो करता है मगर आबकारी विभाग का क्यूजा घाटी भ्रमण सप्ताह वसूली तक सीमित रह जाता है। क्यूजा घाटी में विगत कई वर्षों से अवैध रूप से सप्लाई हो रही अवैध अंग्रेजी शराब के विरोध में यदि स्थानीय जनता, जनप्रतिनिधि व सामाजिक संगठन समय रहते सड़कों पर नहीं उतरेंगे तो युवाओं का भविष्य बर्बाद होने के साथ क्षेत्र के सामाजिक माहौल को गहरा आघात पहुंचने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।