लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : मद्महेश्वर घाटी के ऊंचाई वाले इलाकों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी न होने से बुरूवा भेंटी के जंगल भीषण आग की चपेट में आ गये है! जंगलों में भीषण आग लगने से लाखों की वन सम्पदा स्वाहा हो गयी है तथा वन्य जीव – जन्तुओं के जीवन पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यदि समय पर जंगलों में लगी भीषण आग पर काबू नहीं पाया गया तो जंगलों में लगी भीषण आग विकराल रूप धारण कर सकती है जिससे बुरूवा भेंटी के जंगलों की आग टिगंरी होते हुए सोन पर्वत के आंचलों में बसे सुरम्य मखमली बुग्यालों तक पहुंच सकती है। केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग द्वारा जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के प्रयास शुरू कर दिये गये हैं। मिली जानकारी के अनुसार मद्महेश्वर घाटी के बुरूवा भेंटी के जंगल सोमवार देर रात से भीषण आग की चपेट में आ गये हैं! जंगलों में भीषण आग लगने से लाखों की वन सम्पदा स्वाहा हो गयी है तथा जंगलों में जीवनयापन करने वाले अनेक प्रजाति के जीव जन्तुओं के जीवन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जनवरी माह में जंगलों के भीषण आग की चपेट में आने का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम के अनुकूल बर्फबारी न होना माना जा रहा है, क्योंकि जनवरी माह में बर्फबारी से आच्छादित रहने वाला भूभाग बर्फ विहीन होने से जंगलों में लगी आग भीषण रूप धारण कर चुकी है। बुरूवा भेंटी के जंगलों में लगी भीषण आग पर यदि समय रहते काबू नहीं पाया गया तो भीषण आग टिगंरी होते हुए सोन पर्वत के आंचल में बसे सुरम्य मखमली बुग्यालों में पहुंच सकती है तथा बुरूवा भेंटी के जंगलों की भीषण आग यदि सोन पर्वत के आंचल में बसे सुरम्य मखमली बुग्यालों में पहुंचती है तो कुखणी, माखुणी जया, विजया, केतकी, अतीश, कुटकी, रातों की रानी सहित दो दर्जन से अधिक प्रजाति की बेस कीमती जडी़ – बूटियों भीषण आग की चपेट में आ सकती है तथा आगामी बरसात के सीजन में सुरम्य मखमली बुग्यालों में उगने वाली दर्जनों प्रजाति की बेस कीमती जडी़ – बूटियों के उत्पादन पर खासा असर पड़ सकता है। केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के अनुभाग बीर सिंह बिष्ट ने बताया कि बुरूवा भेंटी के जंगलों में लगी भीषण आग पर काबू पाने के लिए मंगलवार सुबह ही सात सदस्यीय दल तैनात किया गया था तथा वन कर्मियों द्वारा अधिकांश हिस्सों में लगी आग पर काबू पा लिया गया है मगर एक तरफ चट्टानी इलाका होने के कारण आग पर काबू पाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।