लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : कुण्ड – चोपता – गोपेश्वर नेशनल हाईवे विभागीय अनदेखी के कारण ताला में जानलेवा बना हुआ है। आपदा के तीन माह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी विभाग द्वारा नेशनल हाईवे की सुध न लेनी से हाईवे ताला तोक में जर्जर बना हुआ है तथा राहगीरों को जान हथेली पर रखकर आवाजाही करनी पड़ रही है। ग्रामीणों द्वारा विभागीय अधिकारियों से आपदा से क्षतिग्रस्त नेशनल हाईवे के ट्रीटमेंट की बार – बार मांग की जा रही है मगर विभागीय अधिकारी आपदा से क्षतिग्रस्त नेशनल हाईवे की सुध लेने को राजी नहीं हैं जिससे स्थानीय जनता में नेशनल हाईवे के प्रति आक्रोश बना हुआ है।
ताला तोक में नेशनल हाईवे पर सफर जोखिम भरा होने से तुंगनाथ घाटी पहुंचने वाले पर्यटकों व स्थानीय जनता को सबसे अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बता दें कि बीते 20 अगस्त को तुंगनाथ घाटी में मूसलाधार बारिश होने तथा आकाश कामिनी नदी के जल स्तर में भारी वृद्धि होने से ताता तोक के निचले हिस्से में भू-धंसाव होने से कुण्ड – चोपता – गोपेश्वर नेशनल हाईवे के लगभग 400 मीटर हिस्सा भू-धंसाव की भेंट चढ़ गया था जिससे नेशनल हाईवे पर कई दिनों तक आवाजाही ठप रहने से तुंगनाथ घाटी का तीर्थाटन – पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हुआ था। आपदा के तीन माह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी आपदा से क्षतिग्रस्त नेशनल हाईवे का ट्रीटमेंट सही तरीके से होने के कारण नेशनल हाईवे पर सफर करना जोखिम बना हुआ है परिणामस्वरूप आज तक दर्जनों वाहनों को भारी क्षति पहुंच चुकी है। जानकारी देते हुए ग्रामीण महिपाल बजवाल ने बताया कि आपदा के तीन माह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी विभाग द्वारा नेशनल हाईवे का सही तरीके से ट्रीटमेंट न करने से नेशनल हाईवे पर सफर करना जोखिम भरा बना हुआ है तथा विभागीय अधिकारी आपदा से क्षतिग्रस्त नेशनल हाईवे की सुध लेने को राजी नहीं है। निवर्तमान प्रधान कुवर बजवाल ने बताया कि आपदा के बाद विभाग द्वारा नेशनल हाईवे को आवाजाही के लिए खोल तो दिया था मगर आपदा के तीन माह बाद भी नेशनल हाईवे का सही तरीके से ट्रीटमेंट न होने से वाहन स्वामियों को जान हथेली पर रखकर आवाजाही करनी पड़ रही है। पूर्व प्रधान प्रदीप बजवाल ने बताया कि विभागीय अधिकारियों की उपेक्षा के कारण नेशनल हाईवे की स्थिति जर्जर बनी हुई है। ग्रामीण प्रतिपाल बजवाल का कहना है कि नेशनल हाईवे की स्थिति जर्जर होने से तुंगनाथ घाटी पहुंचने वाले पर्यटकों व स्थानीय जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रही है।