लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : द्वादश ज्योर्तिलिंगों में अग्रणी भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली सोमवार को विद्वान आचार्यों की वेद ऋचाओं, हजारों श्रद्धालुओं की जयकारों, महिलाओं के मांगल गीतों व आर्मी की बैण्ड धुनों के साथ शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर से कैलाश के लिए रवाना होगी तथा प्रथम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी।
भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के साथ ऊखीमठ से केदारनाथ धाम तक पद यात्रा में शामिल होने के लिए विभिन्न राज्यों के सैकड़ों श्रद्धालु ऊखीमठ पहुंच चुकें है। भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली विभिन्न यात्रा पड़ावों पर विश्राम करने व भक्तों को आशीर्वाद देने के बाद 9 मई को केदारनाथ धाम पहुंचेगी तथा 10 मई को प्रातः 7 बजे वृष लगन में भगवान केदारनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिये जायेगें। मन्दिर समिति द्वारा भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ से धाम रवाना होने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी है। वहीं रविवार देर सांय को शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में केदार पुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ पूजा विधि – विधान से सम्पन्न की गयी है, तथा मन्दिर समिति द्वारा ओंकारेश्वर मन्दिर को 8 कुन्तल फूलों से सजाया गया है! जानकारी देते हुए कार्याधिकारी आर सी तिवारी ने बताया कि सोमवार को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली की विशेष पूजा – अर्चना व श्रृंगार के बाद लगभग 10 बजे शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर से रवाना होगी तथा प्रथम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी तथा 7 मई को भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी से रवाना होकर नाला, नारायण कोटि, मैखण्डा यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीर्वाद देते हुए द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए फाटा पहुंचेगी तथा 8 मई को शेरसी, बडा़सू, रामपुर, सीतापुर, सोनप्रयाग होते हुए रात्रि प्रवास के लिए गौरी माता मन्दिर गौरीकुण्ड पहुंचेगी तथा 9 मई को गौरीकुण्ड से रवाना होकर जंगलचट्टी, भीमबली लिंनचोली, बैस कैप होते हुए केदारनाथ धाम पहुंचेगी तथा 10 मई को प्रातः 7 बजे वृष लगन में भगवान केदारनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिये जायेगें। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि इस बार ओंकारेश्वर मन्दिर को 8 कुन्तल तथा विश्वनाथ मन्दिर को 4 कुन्तल फूलों से सजाया गया है तथा केदारनाथ धाम में 24 सदस्यीय एडवांस दल द्वारा सभी यात्रा तैयारियां लगभग पूरी कर दी गयी है।