लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : पट्टी तल्लानागपुर की सीमांत ग्राम पंचायत घिमतोली में 9 वर्षों बाद पाण्डव नृत्य व पाण्डव लीला का मंचन किया जा रहा है। पाण्डव नृत्य में विभिन्न पाण्डव पश्वाओं द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है तथा पाण्डव नृत्य के आयोजन से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। पाण्डव नृत्य में प्रतिभाग करने के लिए धियाणियों व प्रवासियों के गांवों की ओर रूख करने से गांव के विभिन्न तोकों में रौनक लौटने लगी है।
पाण्डव नृत्य में पाण्डवों के अस्त्र – शस्त्र पाण्डव चौक लाना, मौरू नारेण की स्थापना, पाण्डव के गंगा स्नान व तीर्थ यात्रा के तहत कार्तिक स्वामी तीर्थ की यात्रा, नगर भ्रमण सहित अनेक परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है। जानकारी देते हुए पाण्डव नृत्य कमेटी संरक्षक मगन सिंह नेगी ने बताया कि पाण्डव नृत्य में कुन्ती – जगमोहन सिंह, श्रीकृष्ण – हरि सिंह, युधिष्ठिर – प्रताप सिंह, भीम – दर्शन सिंह, अर्जुन – जीत सिंह, नकुल – बीर सिंह, सहदेव – राजेन्द्र सिंह, हनुमान – पृथ्वी सिंह, द्रोपती – तेज सिंह, मुकेश सिंह भबरीक – नत्था सिंह, बिक्रम सिंह तथा – तिलमिल – अशोक सिंह के द्वारा पाण्डव पश्वाओं की भूमिका अदा की जा रही है। पाण्डव नृत्य कमेटी अध्यक्ष तेज सिंह नेगी ने बताया कि 5 नवम्बर से पाण्डव नृत्य का शुभारंभ किया गया था तथा 11 नवम्बर को पाण्डव के अस्त्र – शस्त्र पाण्डव चौक लाये गये, 19 नवम्बर को मौरू नारेण की स्थापना 25 नवम्बर को कार्तिक स्वामी तीर्थ यात्रा के साथ ही इन दिनों पाण्डवों द्वारा नगर भ्रमण कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया जा रहा है। पाण्डव लीला कमेटी अध्यक्ष बलवन्त सिंह नेगी ने बताया कि पाण्डव नृत्य के साथ – साथ पाण्डव लीला का भी मंचन किया जा रहा है तथा इन दिनों पाण्डव वनवास लीला का मंचन किया जा रहा है। पाण्डव नृत्य कमेटी कोषाध्यक्ष वीरपाल सिंह नेगी ने बताया कि आने वाले दिनों में गौडा़ कौथिक, हाथी कौथिक सहित अनेक परम्पराओं का निर्वहन किया जायेगा। पाण्डव लीला कमेटी कोषाध्यक्ष ताजवर सिंह नेगी ने बताया कि आने वाले दिनों में चक्रव्यूह लीला मंचन, कर्ण वध, दुर्योधन वध सहित अनेक लीलाओं का मंचन किया जायेगा। निवर्तमान प्रधान बसन्ती देवी ने बताया कि पाण्डव नृत्य में सभी पाण्डव पश्वाओं को अनुष्ठान में पाण्डव नृत्य की परम्पराओं का निर्वहन करना पड़ता है। वन पंचायत सरपंच उदय सिंह नेगी ने बताया कि पाण्डव नृत्य के साथ पाण्डव लीला मंचन की परम्परा युगों पूर्व की है।