लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : तुंगनाथ घाटी के विभिन्न स्थानों पर निरन्तर भूस्खलन जारी है। कई दर्जनों मकाने खतरे की जद में आने के कारण ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थानों पर आसरा लिया हुआ है, कुछ ग्रामीण जीवन व मौत के साये में दिन गुजारने के लिए विवश बने हुए हैं। विभिन्न स्थानों पर भूस्खलन शुरू होने के दो सप्ताह बाद भी तहसीलदार व उपजिलाधिकारी द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण न करने से आपदा प्रभावित अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं तथा भूस्खलन शुरू होने के दो सप्ताह बाद भी तहसीलदार व उपजिलाधिकारी द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण न करने से तहसील प्रशासन की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आने के साथ स्पष्ट हो गया है कि तहसील प्रशासन आपदा प्रभावितों के दु: ख दर्द सुनने के लिए राजी नहीं है। तहसील प्रशासन स्तर राजस्व उपनिरीक्षक द्वारा ही आपदा क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण करने से स्पष्ट हो गया है कि तहसील प्रशासन के उच्चाधिकारी आपदा प्रभावितों के प्रति उदासीन बने हुए हैं। विगत दिनों क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों द्वारा तहसील प्रशासन के उच्चाधिकारियों द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण न किये जाने पर आक्रोश भी व्यक्त किया गया था मगर उसके बाद भी तहसीलदार व उपजिलाधिकारी आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण करने नहीं पहुंचे।
बता दें कि विगत 10 अगस्त को तुंगनाथ घाटी में आकाशकामिनी नदी के उफान में आने के कारण ताला तोक के निचले हिस्से में भूस्खलन होने से ताला तोक के कई दर्जनों परिवार खतरे की जद में आने के साथ दुकानों, ढाबों व टैन्टों को भारी नुकसान हो गया था। भूस्खलन के कारण खतरे की जद में आये ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थानों पर आसरा ले लिया था। भूस्खलन के कारण काश्तकारों की खेतों व फसलों को भारी नुकसान पहुंचने से काश्तकारों के सम्मुख आजीविका का संकट बन गया था। मस्तूरा – दैडा़ वैकल्पिक पैदल मार्ग को भारी क्षति पहुंचने के बाद 6 गांवों के ग्रामीणों द्वारा श्रमदान कर वैकल्पिक पैदल मार्ग को आवाजाही लायक बनाया गया था।
पापडी तोक के निचले हिस्से में अभी भी भूस्खलन जारी रहने से कई दर्जनों परिवार खतरे की जद में है जबकि ग्राम पंचायत मक्कू के राजस्व ग्राम ग्वाड ढिलणा में 10 अगस्त से वर्तमान समय तक कई स्थानों पर भूस्खलन जारी रहने से तीन दर्जन से अधिक परिवारों पर कभी भी प्रकृति का कहर बरस सकता है। ग्रामीण जान हथेली पर रखकर भूस्खलन प्रभावित स्थानों से आवाजाही करनी को विवश बने हुए हैं। तुंगनाथ घाटी में भूस्खलन के कारण भारी क्षति होने के दो सप्ताह बाद भी तहसीलदार प्रदीप नेगी व उपजिलाधिकारी अनिल कुमार शुक्ला के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण न करने से आपदा प्रभावित अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। आपदा के दो सप्ताह बाद भी तहसीलदार व उपजिलाधिकारी के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण न करने से तहसील प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगने शुरू हो गयें हैं।
प्रधान दैडा़ योगेन्द्र नेगी ने बताया कि भूस्खलन के कारण मस्तूरा – दैडा़ वैकल्पिक पैदल मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था तथा आकाशकामिनी नदी के कटाव से भविष्य में जी आई सी दैडा़ को खतरा बना हुआ है मगर आज तक उप राजस्व निरीक्षक तक भूस्खलन से हुए क्षति का आकलन करने नहीं पहुंचे हैं।
तहसील प्रशासन ने 12 दिन बाद भी नहीं लीं आपदा प्रभावितों की सुध
288 घन्टों में दो घन्टे नहीं निकले आपदा प्रभावितों के लिए। ऊखीमठ। तहसील मुख्यालय से आपदा प्रभावित क्षेत्र मस्तूरा की दूरी मात्र 8 किमी तथा ताला की दूरी मात्र 10 किमी है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में आवाजाही करने तथा आपदा प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण करने में मात्र तीन घन्टे लग सकते है। तुंगनाथ घाटी में भूस्खलन के बाद 288 घन्टों से अधिक का समय गुजर गया है। आपदा के बाद 288 घन्टे गुजर जाने के बाद भी तहसीलदार व उपजिलाधिकारी आपदा प्रभावितों के लिए तीन घन्टे का समय नहीं निकाल पाये हैं जबकि दोनों अधिकारियों के आवेदकों की 143 की फाइलों में दिनभर आफिसों में उलझे रहना आम बात हो गयी है।