परम्परा हुई पुनर्जीवित : 235वर्ष बाद ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के सान्निध्य में भगवान बदरी विशाल के कपाट हुए बन्द – संजय कुंवर

Team PahadRaftar

परम्परा हुई पुनर्जीवित, 235वर्ष बाद ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के सान्निध्य में भगवान बदरी विशाल के कपाट हुए बन्द।

संजय कुंवर बदरीनाथ धाम

आज मध्याह्न 3:20 बजे विधि-विधान के साथ समस्त परम्पराओं का परिपालन करते हुए भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल की देव पूजा हेतु बन्द हुए । ज्योतिष्पीठ के इतिहास में लंबे समय के बाद पहली बार पीठ के शंकराचार्य के रूप में स्वामिश्रीःअविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपराओं का निर्वहन करते हुए बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के अवसर पर अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज की। पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज के सान्निध्य में कपाट बन्द होने की वैदिक परम्परा सम्पन्न हुई ।

गौरतलब है कि सन् 1776 में किन्ही कारणों से ज्योतिष्पीठ आचार्य विहीन हो गई थी ,उसके बाद से यह परंपरा टूट गई थी। लेकिन पूर्वाचार्यों की कृपा से वर्तमान ज्योतिष्पीठ के 46वें शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती की महाराज ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य पर अभिषिक्त होने के बाद एक बार फिर से आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपरा प्रारंभ हुई है। इसको लेकर सनातन धर्मावलंबियों में खासा उत्साह और खुशी है । इस अवसर पर हजारों की संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे ।

Next Post

वॉलीबॉल महिला मुकाबले में स्पोर्ट्स स्टेडियम गोपेश्वर और रस्साकशी में शारदा क्लब रहा विजेता - केएस असवाल

गौचर मेले में 19 नवंबर को फुटबाल, बॉलीबॉल तथा कबड्डी के फाइनल मैच खेले गए। इन सभी खेलों के मुकाबले रोमांच से भरे रहे। फाइनल मुकाबलों को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में दर्शकों की भीड भी जुटी रही। वही फन गेम्स में तीन टांग दौड, रस्सा कस्सी प्रतियोगिता […]

You May Like