ऊखीमठ । वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण कई राज्यों में पूर्ण व कुछ राज्यों में आंशिक कर्फ्यू लगने से तुंगनाथ घाटी सहित क्षेत्र का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित होने से स्थानीय व्यापारियों के सन्मुख दो जून रोटी का संकट खड़ा हो गया है। यदि समय रहते कोरोना संक्रमण के फैलने पर रोक नहीं लग पाई तो भविष्य में क्षेत्र का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है! आगामी 17 मई को पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के कपाट खोलने के लिए शासन – प्रशासन स्तर से क्या गाइडलाइन जारी होती है यह तो भविष्य के गर्भ में है मगर क्षेत्र के सभी व्यापारियों को उम्मीद है कि कपाट खुलने के बाद क्षेत्र का पर्यटन व्यवसाय लौट सकता है।
विगत वर्षों की बात करे तो तुंगनाथ घाटी में दिसम्बर जनवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी होने से भारी संख्या में पर्यटकों का आवागमन बर्फबारी का आनन्द लेने के तुंगनाथ घाटी में होता था मगर इस बार मौसम के अनुकूल बर्फबारी न होने से तुंगनाथ घाटी के यात्रा पडाव मार्च महीने तक वीरान रही! स्थानीय व्यापारियों को उम्मीद थी कि मैदानी क्षेत्रों में गर्मी शुरू होते ही पर्यटक तुंगनाथ घाटी की ओर रूख करेगें मगर वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दूबारा फैलने के कारण कर्फ्यू लगने से स्थानीय व्यापारियों के अरमानों पर पानी फिर गया है!
तुंगनाथ घाटी के व्यापारी प्रदीप बजवाल, दिनेश बजवाल ने बताया कि 12 महीने पर्यटकों से गुलजार रहने वाली तुंगनाथ घाटी में कर्फ्यू के कारण सन्नाटा पसरा हुआ है! जिला पंचायत सदस्य रीना बिष्ट ने बताया कि विगत वर्ष कुछ युवाओं ने बैकों से ऋण लेकर तुंगनाथ घाटी में अपना व्यवसाय शुरू किया था मगर पिछले वर्ष मार्च महीने से ही लॉकडाउन तथा इस बार कर्फ्यू लगने से स्थानीय व्यापारियों के सन्मुख दो जून रोटी का संकट बनता जा रहा है तथा बैंक ऋण के ब्याज दर में निरन्तर वृद्धि हो रही है! प्रधान संगठन मीडिया प्रभारी योगेन्द्र नेगी ने बताया कि वर्ष भर सैलानियों से गुलजार रहने वाली तुंगनाथ घाटी में सन्नाटा पसरा हुआ है।