टिफिन में ही रह गई मां की बनाई रोटियां – तपोवन घाटी से रघुबीर नेगी की रिपोर्ट

Team PahadRaftar

टिफिन में ही रह गई मां की बनाई रोटियां

रघुबीर नेगी की रिपोर्ट

7 फरवरी 2021 रविवार को आये ऋषिगंगा में भीषण जल प्रलय ने सैकड़ों परिवारों के चिराग बुझा दिये इतना जख्म दे गई कि जीवन भर भूला पाना मुश्किल। 18 दिन बीतने के बाद भी अपनों के इन्तजार में परिजन भले जीवन की उम्मीद छोड़ चुके हों पर कुछ तो मिले कि मन संतुष्ट हो जाए। इन्हीं अभागों में था करछों गांव का ओमप्रकाश जो रितिक कम्पनी में पम्प पर का करता था हर दिन की तरह रविवार को जल्दी आने की चाह में बिना कुछ खाये ही जल्दी चला गया कि शाम को जल्दी लौटकर आयेंगे और पापा रोटियां लेकर आयेंगे 10 बजे तक पर शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था।

पिता जैसे ही रोटियां टिफिन में लेकर निकलने वाले थे तब तक हिम ग्लेशियर के टुटने के कारण आपदा रैणी तपोवन में भीषण जल प्रलय आ गया और मां की बनाई रोटियां टिफिन में ही रह गयी पिता ने काफी कोशिश की खोजने की पर ओमप्रकाश का पता आज तक नही चला। ओमप्रकाश का डेढ़ साल पहले रिंकी से विवाह हुआ था उनकी 6 माह की बेटी ईशानी है चार भाई बहिनों में तीसरे नम्बर का ओमप्रकाश घर का कमाऊं बेटा था। पत्नी रिंकी और मां चन्द्रकला देवी का रो – रो कर बुरा हाल है।

 

कुछ दिनों तक टनल के अंदर जीवित होने की आशा थी पर अब आशा ही खत्म हो गई। 18 दिनों के बाद भी कोई सुराग नही मिला 80 वर्षीय दादा शेर सिह फरस्वाण की आंखे भी नाती के गम में नम हैं। आखिर कहाँ गया उनका जवान नाती, किस्मत ऐसा जख्म दे गयी कि परिवार के चाचा कुलदीप फरस्वाण और उनका बेटा आशीष फरस्वाण और दीदी का लड़का शिवप्रकाश चांचडी भी इस जलप्रलय में समा गये परिवार के तीनों सदस्यों के लापता होने से परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट गया, जिसे भुला पाना जीवन भर सम्भव नही होगा बडा दर्द दे गयी जिन्दगी।

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