जोशीमठ तिमुंडिया मेले में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, क्या है मान्यताएं जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर – रघुबीर नेगी की रिपोर्ट

Team PahadRaftar

रिपोर्ट रघुबीर नेगी जोशीमठ चमोली

तिमुडिया वीर से बदरीनाथ धाम की सुखद यात्रा की कामना 30 अप्रैल शनिवार को जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में आयोजित तिमुंडिया मेला सम्पन्न, हजारों की संख्या में उमड़ी श्रद्धालु की भीड़

सीमांत तहसील जोशीमठ धार्मिक नगरी भगवान नृसिंह की पतित पावनी भूमि में भगवती दुर्गा के वीर तिमुंडिया मेला सम्पन हुआ। बदरीनाथ धाम की सुखद यात्रा के लिए होती है तिमुंडिया वीर की पूजा अर्चना बदरीनाथ के कपाट खुलने के कुछ दिन पहले शनिवार को आयोजित किया जाता है। भक्तों ने दाकुंडी झमेलों के साथ भगवती के वीर तिमुंडिया से की महामारी से मुक्ति एवं बदरीनाथ की सुखद यात्रा की कामना ।

आज हम आपको बता रहे हैं लोक मान्यताओं के अनुसार तिमुंडिया वीर की कथा ।

लोक मान्यताओं के अनुसार तिमुडिया वीर तीन सिरों वाला वीर है एक सिर से दिशा का अवलोकन दूसरे से मांस का सेवन व तीसरे से शास्त्र का अध्ययन प्राचीन समय में जब लोग बदरीनाथ की यात्रा पर आते थे तो यह वीर प्रतिदिन कई मनुष्यों का भक्षण कर लेता था जिसका ह्यूणा आदि गांवों के आसपास बड़ा आतंक था।
लोगों के अनुरोध पर मां दुर्गा ने इस वीर से कहा कि तुम्हारी साल भर में पूजा होगी ओर तुम लोगों की हत्या नही करोगे। दूसरी मान्यताओं के अनुसार जब मां दुर्गा देवरा यात्रा पर जोशीमठ आयी तो तिमुडिया वीर ने इस यात्रा काल में भी अपना आतंक जारी रखा मां दुर्गा ने भक्तों की रक्षा के लिए इस वीर के दो सिर काट दिये जो पहला सिर काटा वो उर्गम घाटी के आसपास गिरा और हिसवा राक्षस के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।
आज भी उर्गम घाटी में भूमियाल घंटाकर्ण के साथ हिंसवा पावे की पूजा होती है ।
दूसरा सेलंग के आसपास गिरा जो पट्पटवा वीर के नाम से प्रसिद्ध हुआ जैसे ही मां दुर्गा तीसरे काटने लगी तिमुडिया वीर देवी की शरण में चला गया तब मां ने उससे कहा कि तुम नर बलि नही करोंगे तुम्हें हर साल भरपूर पूजा दी जायेगी। तब से नृसिंह भगवान मन्दिर में इस वीर का स्थान है हर साल बदरीनाथ के कपाट खुलने से पूर्व यह मेला शनिवार को आयोजित होता है इस वीर का अवतारित पश्वा सवा मण चावल चार किलो गुड तीन घड़ा पानी तामसिक भोजन करता है। देवता शान्त होने के बाद एक सेर आटे का रोट व सवा सेर चावल की खिचडी खाता है मां दुर्गा व दाणी के अवतारित पश्वा भी इस वीर के साथ रहते है जो वीर को अपने नियंत्रण में रखते हैं। धन्य हैं जोशीमठ की यह पावन धरती जहां की संस्कृति को विज्ञान भी चुनौती नही दे सकता यह पौराणिक परम्परा संस्कृति इंसान को सोचने के लिए विवश कर देती है आस सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करें। तिमुडिया वीर जै मा दुर्गा जै तिमुडिया वीर जोशीमठ का यह पावन धरती हमेशा खुशहाल रहें। मेले में आज हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

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