बोल बदरी विशाल की जय के उद्घोष और सेना के गढ़वाल स्काउट के बैंड की मधुर धुनों के बीच भू बैकुंठ नगरी और भगवान विष्णु को समर्पित श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल में छह माह के लिए आज शनिवार को शाम 6.45 बजे विधि-विधान से बंद कर दिए गए।
कपाट बन्द होने से पूर्व पहले उद्धव जी और कुबेर जी बद्रीश पंचायत से बाहर लाये गए, उसके बाद भगवान श्री हरि नारायण को माता लक्ष्मी के सानिध्य में विराजमान किया गया घी के लेपन लगे घृत कंबल ओढाइ गई,और साल की अंतिम शयन आरती के बाद भगवान श्री बदरी विशाल के कपाट बन्द हो गए मुख्य पुजारी रावल जी धर्माधिकारी सहित देव स्थानम बोर्ड के अधिकारी सिंह द्वार से बाहर आये और सिंह द्वार भी बन्द कर दिया गया,अब शीतकाल में भगवान बदरीनाथ की पूजाएं पांडुकेश्वर और जोशीमठ में संपन्न होगी
सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करने के बाद शाम 6.45 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए गए, वहीं कल रविवार को बदरीनाथ के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के नेतृत्व में आदि गुरु शंकराचार्य की डोली, कुबेर जी और उद्घव जी की उत्सव डोली पांडुकेश्वर के लिए रवाना होगी।