फिर हुलियारे आए
गुलाल अबीर से सज गई धरती
फाल्गुन में होली जब आए
मधुर – मधुर मुस्काए चंहु दिश
देखो फिर हुलियारे आए।
मधुर मिलन की आस लिए
मन में उल्लास जगाए
मनभावन की प्रीत में उलझे
मिलन को मन हर्षाए।
पुंज किरण सौरभ से भर
जगमग उजियारा लाए
हवा में खुशबू बिखरा दे
और तन-मन निखरा जाए।
गली मोहल्ला शोर हुआ
रंगों में सब रंग जाए
भूल दिलों की नफरत को
दुश्मन भी गले लग जाए।
मुख मिठास तन में उल्लास
नैनों से नैन मिल जाए
जो सखियां विरह में बैठी
उनका मन तरसाए।
रंग उड़ाए गुलाल उड़ाए
देखो फिर हुलियारे आए
भांग पकौड़ी गुजिया के संग
गीत होली के गाए।
शशि देवली
गोपेश्वर चमोली उत्तराखण्ड