देहरादून : यही रहे हालात तो ठप हो जाएगा सूचना आयोग का काम

Team PahadRaftar

यही रहे हालात तो ठप हो जाएगा सूचना आयोग का काम

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड सूचना आयोग में एक्ट के अनुसार एक मुख्य सूचना आयुक्त और 10 सूचना आयुक्तों की नियुक्ति
हो सकती हैं. हालांकि राज्य के इतिहास में अब तक साल 2010 के दौरान सबसे ज्यादा 6 आयुक्त आयोग में
नियुक्त थे. जिसमें एक मुख्य सूचना आयुक्त और पांच सूचना आयुक्त शामिल रहे. वैसे तो उत्तराखंड सूचना
आयोग में अपील की संख्या को देखते हुए 10 सूचना आयुक्तों की आवश्यकता नहीं दिखाई देती. लेकिन अब
जिस कदर रिक्त पदों की संख्या बढ़ी हैं, उसने आयोग के कामकाज पर सवाल उठने तय हैं. फिलहाल
उत्तराखंड सूचना आयोग में केवल दो आयुक्त ही अपील का निस्तारण कर रहे हैं. इसमें भी सूचना आयुक्त
की मार्च पहले सप्ताह में सेवाएं खत्म हो रही हैं. इसके बाद आयोग में केवल एक सूचना आयुक्त योगेश भट्ट
ही रह जाएंगे. परेशानी इस बात की है कि आयोग में अपील की प्रक्रिया को चलाने के लिए कम से कम एक
मुख्य सूचना आयुक्त और एक आयुक्त का होना बेहद जरूरी है. हाई कोर्ट के निर्देशों के क्रम में CIC और एक
सूचना आयुक्त के ना होने की स्थिति में आयोग में अपील नहीं सुनी जा सकती हैं. यानी मार्च महीने के पहले
हफ्ते तक यदि सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त या सूचना आयुक्त की नियुक्ति नहीं की जाती तो
आयोग में अपील का काम पूरी तरह से ठप हो जाएगा. उधर इसी साल दिसंबर महीने में सूचना आयुक्त
योगेश भट्ट भी अपना सेवाकाल खत्म कर रहे हैं.आयोग में लंबित है सैकड़ों मामले: उत्तराखंड सूचना आयोग
में अभी 1250 सूचनाओं से जुड़ी अपीलें लंबित पड़ी हैं. जबकि हर महीने औसतन 200 अपील सूचना
आयोग में आती हैं. इस तरह सूचना आयुक्त के खाली पद रहने पर आयोग में अपील पेंडेंसी और भी ज्यादा
बढ़ने की उम्मीद हैं. उधर आने वाले समय में भी सूचना आयुक्त की नियुक्ति ना होने पर आम लोगों को
अपील के माध्यम से सूचना के अपने अधिकार को पाने का रास्ता और भी मुश्किल हो जाएगा. उत्तराखंड
सूचना आयोग एक ऐसी संभावित परेशानी से गुजर रहा है, जिसके चलते आने वाले दिनों में आयोग का
काम ठप भी हो सकता है. दरअसल मामला सूचना आयोग में आयुक्तों की कमी का है. जिसे सरकार पिछले
कई महीनों से दूर नहीं कर पाई है. अब स्थिति ये है कि अगले एक महीने में नियुक्ति प्रक्रिया के आगे न बढ़ने
पर आम लोगों को आयोग में सूचना के अधिकार से ही महरूम होना पड़ सकता है. सामान्य प्रशासन
विभाग की तरफ से मांगे गए आवेदन के क्रम में विभाग को अब तक मुख्य सूचना आयुक्त के लिए 29 लोगों
ने अपने आवेदन कर दिए हैं. इसी तरह सूचना आयुक्त पद के लिए 55 लोगों ने आवेदन किए हैं. खास बात
यह है कि उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भी सेवानिवृत होने से पहले ही मुख्य सूचना आयुक्त के
पद पर आवेदन किया है. मार्च महीने में मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत हो रही हैं. दूसरा खास नाम हाल ही
में देहरादून के एसएसपी रहे का है, जो हाल ही में रिटायर हुए हैं. मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए सूचना
आयोग में मौजूद सूचना आयुक्त विपिन चंद्र ने भी आवेदन किया है जो की मार्च महीने में सेवानिवृत हो रहे
हैं. मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त पद के लिए आवेदन करने वाले दूसरे कई अधिकारी और पत्रकार
भी हैं, जो इस पद पर आसीन होना चाहते हैं. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 आम लोगों को
सरकारी सिस्टम में हर जानकारी पाने का हक देता है. इसमें सूचनाए ना मिलने या प्राप्त सूचना से इत्तेफाक
ना रखने पर अधिनियम अपील करने का भी अधिकार देता है. राज्य के स्तर पर सबसे अंतिम और
महत्वपूर्ण अपील उत्तराखंड सूचना आयोग में होती है. जहां सूचना को स्पष्ट रूप से अपीलार्थी तक
पहुंचाकर मामले को निस्तारित किया जाता है. लेकिन नई चिंता उत्तराखंड सूचना आयोग में इस पूरी
व्यवस्था के चरमराने की है. जिसे समय रहते आयुक्तों की नियुक्ति के जरिए ही दूर किया जा सकता है
उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव के समीकरण दिखाई दे रहे हैं. दरअसल जिलों से लेकर शासन और
मुख्यमंत्री सेटअप तक में कुछ खास नामों पर विचार होने जा रहा है. उधर दूसरी तरफ राज्य के कई
आईएएस और पीसीएस अधिकारी भी इस साल सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं. हालांकि ऐसे कुछ अधिकारियों
की सेकंड इनिंग के लिए भी विकल्प मौजूद है. जिनका फायदा सेवानिवृत्त अफसरों को मिलेगा.उत्तराखंड में
साल 2025 की शुरुआत के साथ नौकरशाही में भी विभिन्न पदों पर बदलाव की तैयारी शुरू कर दी गई है.
हालांकि राज्य में निकाय चुनाव के अलावा राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के चलते सरकार जनवरी महीने में
अब तक कुछ खास होमवर्क पूरा नहीं कर पाई है. लेकिन आने वाले दिनों में चतुर्थ तल से लेकर शासन और
जिला स्तर तक में भी बदलाव का खाका तैयार होने जा रहा है. प्रदेश में नौकरशाही को लेकर होने जा रहे
बदलाव के बीच ऐसे अफसर को भी एडजस्ट किया जाएगा, जो सेवानिवृत्ति हुए हैं या होने वाले हैं.!

लेखक
ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।

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