संजय कुंवर जोशीमठ
चमोली जिले के साथ सीमांत क्षेत्र में सावन के पहले सोमवार को सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है, जोशीमठ ज्योतेश्वर महादेव मन्दिर में सुबह से भक्तों द्वारा बोले के जयकारों के साथ जलाभिषेक किया जा रहा है।
आज से पहाड़ में सावन माह शुरू हो गया है, सावन माह के पहले ही दिन सोमवार से मंदिरों में भोले के जयकारों से गूंज उठे शिवालय। हल्की बारिश की फुहारों और कोहरे के बीच तड़के सुबह 4 बजे से ही जोशीमठ के शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी से भारी भीड़ उमड़ी है। भारी बारिश में लाइन में लगकर श्रद्धालु आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित भगवान ज्योतेश्वर महादेव और भविष्य केदार मंदिर में जलाभिषेक कर रहे हैं।
करोड़ों हिंदुओं का आस्था का केंद्र ज्योतेश्वर महादेव मंदिर श्रदालुओ ने भगवान ज्योतेश्वर महादेव भगवान की विल्ब पत्र ,भांग, फूल,दूध ,दही शहद ,तिल ,आदि से जमकर जलाभिषेक कर विशेष पूजा अर्चना कर रहे हैं। यहां पर भगवान शंकर के 11 वे अवतार आदिगुरु शंकराचार्य ने केरल से आकर 5 साल तक घोर तपस्या की थी और यही पर उन्हें अमर कल्पवृक्ष के नीचे दिव्य ज्ञान ज्योति की प्राप्ति हुई थी। और इसी लिए दिव्य ज्ञान ज्योति की वजह से ज्योतेश्वर महादेव कहलाये। यहां पर 2500 साल पुराना सनातनी अमर कल्पवृक्ष है ,जिसके नीचे बैठकर आदिगुरू शंकराचार्य ने तपस्या की थी। और इसके नीचे बैठकर कई धार्मिक ग्रन्थ शांकरभाष्य सहित कई गर्न्थों की रचना की। यही से जाकर उन्होंने लुप्त हो रहे सनातन धर्म की रक्षा की और बदरीनाथ धाम जाकर भगवान बदरीनाथ की मूर्ति नारद कुंड से निकाल पुनः मन्दिर में स्थापित किया था। और आदिगुरु शंकराचार्य ने लुप्त हो रही सनातन धर्म की रक्षा की।