तन्हाइयां इस कदर भा गयी मुझे, भीड़ से डरने लगा हूं में – मनोज तिवारी,,निशान्त

Team PahadRaftar

तन्हाइयां इस कदर भा गयी मुझे,
भीड़ से डरने लगा हूं में।
वक़्त कि खमोशी इस कदर,
शख्श से शख्स डरने लगा है।

दूरियां दिलो में कम तो न थी,
वक़्त बेवक्त बढ़ती रही,
खामोश मैं था निगाहें नही,
आंसुओ की बारिश थमती नही।

रुक जाए ये वक़्त ऐसा होता नही,
खो गया कंही वो मिलता नही,
गिर गया आंख से वो मोती कंही,
ढूंढो उसे वो मिलता नही।

हंसी लबो की गुम हो गयी,
वजह मुस्कुराने की खो गयी कंहीं,
दौर ये बेरहम कैसा,
साये से साया डरने लगा।

तन्हाइयां इस कदर भा गयी मुझे
भीड़ से डरने लगा हूं में,
वक़्त की खामोशी इस कदर
शख्श से शख्स डरने लगा है

मनोज तिवारी,,निशान्त,

Next Post

विद्यार्थियों के "ज्ञानतीर्थ" - पिथौरागढ़ के भगवान सिंह धामी - अशोक जोशी

विद्यार्थियों के “ज्ञानतीर्थ” – पिथौरागढ़ के भगवान सिंह धामी जी! ✍️ लेख- अशोक जोशी! (जनपद चमोली उत्तराखंड से) हर किसी का जीवन उसके लिए पृथक व अनूठा होता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अपना एक वृतांत है, जिंदगी का यह सफर जितना सुहाना है उतने ही इस सफर के […]

You May Like