जोशीमठ का प्रसिद्ध फूलकोठा मेला मां चंडिका मंदिर रविग्राम और नृसिंह मन्दिर में सम्पन्न हो गया है। दो दिवसीय यह मेला पूर्णमासी के अवसर पर होने वाला यह मेला क्षेत्र की सुख समृद्धि खुशहाली की प्रतीक माना जाता है। इस मेले में लगभग 400 से अधिक घी के अखंड दिए जलाए जाते हैं। रविग्राम औऱ नृसिंह मन्दिर के प्रत्येक परिवार दिये मन्दिर में अखंड घी के दिये जलाए जाते हैं और इसके बाद उच्च हिमालयी क्षेत्र से लाये गए देव पुष्प राज्य पुष्प ब्रह्मकमल से माँ चण्डिका का फूल श्रृंगार किया जाता है। रातभर रात्रि जागरण कर माँ की पूजा अर्चना कीर्तन भजन किया जाता है।
स्थानीय लोग बड़े उत्साह से इस मेले में शिरकत करते हैं।अपनी अखंड घी के दिये जलते हुये घर ले जाते हैं जिससे घर में सुख समृद्धि खुशहाली आती है। महिलायें जागर और दाकुड़ी के माध्यम से माँ की स्तुति आराधना करते हैं। इस मेले की विशेषता यह है कि इसमें सम्पूर्ण ग्रामवासियों पानसों में (पीतल की बड़े-बड़े दिये ) 24 घंटे के लिए घी के दिए जलाए जाते हैं। अखंड दिए जो कि 400 की संख्या होती है प्रतिवर्ष रहती है ! मंदिर के गर्भगृह को ब्रह्म कमल के फूलों के द्वारा सजाया जाता है ब्रह्म कमल जो कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाए जाते हैं ! इन ब्रह्मकमल को लेने के लिए प्रतिवर्ष परंपरानुसार गांव के दो परिवारों को जिम्मेदारी दी जाती है। जिन्हें पौराणिक एवं धार्मिक मान्यतानुसार परंपरानुसार बड़ी ही शुद्धता के साथ लानी होती है। ग्राम रविग्राम का फुलकोठा का यह मेला अपनी पुरातन संस्कृति धरोहर को संजोए हुए आज भी संपूर्ण पैनखंडा में काफी लोकप्रिय है।