भगवान फ्यूलानारायण के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुले, यहां नारी को है नारायण के श्रृंगार का अधिकार

Team PahadRaftar

भगवान फ्यूलानारायण के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुले, सैकड़ों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन। नारायण के दरबार में नारी को है विशेष श्रृंगार का अधिकार 

रघुबीर नेगी की रिपोर्ट

उर्गम घाटी में कल्पेश्वर महादेव के शीर्ष पर स्थित फ्यूलानारायण भगवान विराजमान हैं। जहां नारी को है भगवान के श्रंगार का अधिकार। नौ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित हिमालय की सुरम्य वादियों में सुन्दर फिजाओं के बीच विराजते हैं श्री फ्यूलानारायण। 19 जुलाई तीन गते सावन माह में भक्तों के दर्शनाथ हेतु विधि विधान के अनुसार दोपहर 12 बजे लोक कल्याण हेतु खोल दिए गये हैं।

भगवान फ्यूनारायण भक्तों को नन्दा अष्टमी तक दर्शन देंगे और भक्तों की कामनाएं पूर्ण करेंगे।
पौराणिक परम्परा के अनुसार भर्की भैंटा के ग्राम पंचायत के परिवारों को प्रति परिवार अपनी बारी के अनुसार यहां श्री नारायण की पूजा करने का अधिकार है।

इस वर्ष चन्द्रमोहन पवांर चंदू श्री फ्यूलानारायण के पुजारी होंगे व श्रीमती पार्वती देवी कंडवाल नारायण का श्रृंगार करेंगी, जिन्हें फ्यूया व फ्यूयाण कहा जाता है। पार्वती देवी चौथी बार श्री फ्यूलानारायण मंदिर में फ्यूयाण महिला पूजारी होंगी।

कैसे पहुंचें धाम

फ्यूलानारायण कल्पेश्वर मन्दिर से चार किमी दूर है, उर्गम घाटी के कल्पेश्वर मंदिर तक वाहन से पहुंचा सकते हैं।भगवान कल्पेश्वर के दर्शन कर चार किमी की हल्की चढ़ाई के बाद श्री नारायण के धाम पहुंचा जाता है। इस मंदिर के कपाट हर वर्ष श्रावण विखोत के दिन खुलते हैं। तथा भादों मास की नन्दा अष्टमी को कपाट बंद होते हैं। इस वर्ष श्रावण संक्रांति को अमावस्या के कारण मंदिर खुलने का समय तीन गते सावन निर्धारित किया गया।

मंदिर में विशेष रूप से अखंड धुनि प्रवज्विल होती है जो कपाट खुलने के दिन से कपाट बंद होने तक जलती रहती है। यहां हर दिन पूजा-अर्चना का विधान है। भगवान नारायण को सत्तू एवं बाड़ी से विशेष भोग लगाया जाता है। इसके अलावा मां नन्दा स्वनूल पित्र देवता भूमियाल देवता जाख देवता मडकू मामा भव्वा दाणू की पूजा अर्चना होती है।

कौन है भव्वा दाणू

भव्वा दाणू भल्ला वंशजों के पित्र देवता हैं जो फ्यूलानारायण मंदिर के रक्षक है। भव्वा दाणू वर्षों पहले भगवती गौरा देवी की जात के दौरान रोखनी बुग्याल के समीप वन देवियां द्वारा अपहरण कर लिया था जो कि लोकजात के समय भगवती गौरा देवी को बुलाने गया था और लौटकर नहीं आया तब से फ्यूलानारायण मंदिर के समीप भव्वा दाणू रक्षक है।

फ्यूलानारायण मंदिर में नारायण की मूर्ति चतुर्भुज रूप में यहाँ विराजमान है मूर्ति के दोनों तरफ जय और विजय नामक दो द्वारपाल है।

पुराणों के अनुसार जय विजय नारायण के द्वारपाल थे एक बार देवऋषि नारद को इन दोनों ने प्रणाम नही किया नारद ने इन्हें राक्षस कुल में जन्म लेने का श्राप दिया जिनका रावण व कुम्भकर्ण के रूप में जन्म हुआ और राम अवतार में नारायण ने इनको मोक्ष प्रदान किया। फ्यूनारायण में भगवान नारायण के अलावा मां नन्दा स्वनूल वन देवियां जाख देवता क्षेत्रपाल पित्र देवता भन्दा दारू पूजा की जाती है नारी भगवान नारायण का श्रृंगार करती है तो पुजारी पूजा अर्चना करते हैं।

 

फ्यूयाण या तो 10 वर्ष से छोटी उम्र की होती है या 55 साल से ऊपर की महिला पुराणों में भी कहा गया है।अष्ट वर्षा भवेद गौरी नव वर्षा च रोहणी दशम वर्षा भवेद कन्या उर्ध्वागतरे रजस्वला ।यहाँ धाम में वरूण देवता की भी पूजा की जिसे स्थानीय भाषा में मडकू मामा कहा जाता है।

मंदिर से थोडी दूर जाकर वरुण देवता यानि मडकू मामा का आवाह्न किया जाता है और एक दिन बाद गूल में पानी आना शुरू हो जाता है इसी दिन यहाँ नन्दा स्वरूप के कपाट भी खुलते हैं। मूल रूप से यह स्थान नन्दा स्वनूल का है लोक गाथायें है कि भगवान नारायण की मूर्ति भेड़ पालकों को नारायणबगड़़ में नदी किनारे मिली फ्यूनारायण में पहुंचकर नारायण की मूर्ति को उठा नही पाये और यहीं स्थापित कर दी।

क्यों होती है फ्यूलानारायण मंदिर में महिला पुजारी फ्यूयाण

जब नारायण यहाँ विराजमान थे तो उर्वशी ने फूलों से नारायण का श्रृंगार किया था तब से नारी को भगवान नारायण के श्रृंगार का अधिकार मिला और नारायण फ्यूनारायण के नाम से प्रसिद्ध हो गये। फ्यूलानारायण जाने के मार्ग में भिवरख्वे नामक जल प्रपात पड़ता है जो 100 मी ऊंचाई से गिरता है, इस मार्ग में लोक देवताओ के छोटे – छोटे मंदिर हैं। जिसमें पतोता विनायक जबरखेत विनायक दुदला विनायक, खर्सूपाटा विनायक, कुंदी विनायक, खोड़ विनायक के रास्ते में दर्शन होते हैं। फ्यूनारायण धाम में नारायण की फूलवाड़ी है जहां अनेक प्रकार के फूल खिलते रहते हैं।जहां मन को अपार सकून मिलता है। प्रकृति का सुन्दर दीदार होता है। मंदिर को सजाने एवं भक्तों के लिए प्रसाद कपाट की व्यवस्था फ्रेंड ग्रुप फ्यूलानारायण मेला कमेटी भर्की भैटा द्वारा की गई।

खुलने के अवसर पर भूमिक्षेत्र पाल घंटाकर्ण के पश्वा महाबीर राणा, ब्लाक प्रमुख हरीश परमार, हर्षवर्धन फर्स्वाण, फ्यूलानारायण मेला कमेटी अध्यक्ष देव चौहान, उजागर फर्स्वाण, रघुबीर नेगी, बलवीर चौहान, पश्वा मां नन्दा दर्शन सिंह चौहान, प्रेम सिंह पंवार, रघुबीर चौहान, बख्तावर रावत, रघुबीर पंवार, पंडित ओमप्रकाश सेमवाल, केरल निवासी विवेक, महाराष्ट्र के हेमन्त, सुभाष रावत, चन्द्रमोहन पवांर, महिला मंगल दल भैंटा गीता देवी, मां नन्दा स्वनूल पुजारी अब्बल सिंह व आचार्य बबीश ध्यानी समेत पांच सौ से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन।

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