नैसर्गिक सौंदर्य को समेटे हुए उर्गम घाटी का बंगापाणी
रघुबीर सिंह नेगी
उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय अंचलों में बसे सुदूरवर्ती गांवों की आंचल में अनेक रहस्यमयी गाथाएं संस्कृति स्थान विराजमान हैं। प्रचार प्रसार से दूर इन रहस्यमयी क्षेत्रों की जानकारी गांव के बुजुर्ग भेड़ बकरी पालकों को ज्यादातर पता रहती है। इन्हीं रहस्यमय स्थान को आज हम आपको अवगत करा रहे हैं उर्गम घाटी में स्थित सुन्दर स्थल नाम हैं बंगापाणी जहां पानी टेढ़े मेढे आकार में शान्त में कल-कल की आवाज में बहती है।
हजारों वर्षों पूर्व बनी कुदरती नहर किसने बनाई पता नहीं ? लोक मान्यता है कि इस स्थान पर बाल कृष्ण ने इस स्थान पर अपने ग्वाल बालों के साथ लीलाएं की थी। दूसरी लोक मान्यता के अनुसार जब सती नाग नन्दी कुंड से उर्गम घाटी होकर भर्की भैटा अरोसी थैंग सतोपंथ होकर बाम्पा गया तो कुछ पल यहां विश्राम किया था। यह धार्मिक स्थल उर्गम घाटी के पंच बदरी में विराजमान ध्यान बदरी से मात्र दो किमी की जंगलों के बीच सुन्दर स्थान पर स्थित है। यहां धार्मिक स्थल है आप यहां पर केवल ध्यान कर सकतें है धार्मिक स्थल पर किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन बनाना वर्जित है अगर कैम्पिग भी करना है तो आप वहां से आधा किमी नीचे कर सकते हैं, क्योंकि उर्गम घाटी के धार्मिक स्थल की पूर्ण जानकारी के बिना कोई भी स्थान संकट में डाल सकते हैं । सुरम्य वातावरण में बसा वंगापाणी बहुत ही दिव्य एवं महत्वपूर्ण है जहां पहुंचकर मन को अपार शांति मिलती है तो आइये पंचबदरी में ध्यान बदरी और पंचम कल्पेश्वर महादेव के दर्शनों के साथ साथ बंगापाणी दर्शन।
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