ऊखीमठ । भगवान कार्तिक स्वामी की तपस्थली क्रौंच पर्वत के आंचल तथा प्रकृति की सुरम्य वादियों में बसे उसनतोली बुग्याल के निकट बीहड़ चट्टान पर एक गुफा में भगवान कार्तिक स्वामी का प्राचीन भण्डारा है। उसनतोली – गणेश नगर पैदल मार्ग के ऊपरी हिस्से में भण्डारा के अत्यधिक ऊंचाई पर होने के कारण भगवान कार्तिक स्वामी के प्राचीन भण्डारा के दर्शन करना दुलर्भ है। लोक मान्यताओं के अनुसार इस भण्डार से एक मार्ग कुबेर पर्वत को जाता है। युगों पूर्व इस भण्डार के दर्शन भगवान कार्तिक स्वामी के दो परम उपासक ही कर पाये थे।
बीहड़ चट्टानों के मध्य इस भण्डार में भगवान कार्तिक स्वामी के अनमोल बर्तन हैं ऐसी मान्यता है। बता दें कि भगवान कार्तिक स्वामी की तपस्थली क्रौंच पर्वत तीर्थ अनेक विशेषताओं से भरा है। इस तीर्थ के चारों तरफ 360 गुफाओं के साथ 360 जलकुंड भी है। इन गुफाओं में आज भी अदृश्य रुप में साधक जगत कल्याण के लिए साधना करते हैं। क्रौंच पर्वत तीर्थ से लगभग तीन किमी दूर तथा प्रकृति की सुन्दर छांव में बसा उसनतोली बुग्याल के निकट बीहड़ चट्टान के मध्य भगवान कार्तिक स्वामी के प्राचीन भण्डार की अपनी विशिष्ट पहचान है। लोक मान्यताओं के अनुसार इस भण्डार में भगवान कार्तिक स्वामी का अमूल्य भण्डार है इसलिए इस जगह का नाम भण्डार पड़ा।
स्थानीय लोक मतानुसार आज से लगभग सौ वर्ष पूर्व उसनतोली बुग्याल में एक पशुपालक रहता था तथा वह हमेशा भगवान कार्तिक स्वामी की भक्ति में समर्पित रहता था, एक दिन भगवान कार्तिक स्वामी उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए तथा उन्हें स्वपन में प्राचीन भण्डार के दर्शन करवाए। दूसरे मतानुसार युगों पूर्व एक नेपाली साधक अपनी तपस्या के बल पर भण्डार के दर्शन कर चुका था, इनके अलावा आज तक तीसरे व्यक्ति ने इस भण्डार के दर्शन नहीं किए। स्थानीय मतानुसार पूर्व में जब भगवान कार्तिक स्वामी की देवता पूजा करते थे तो इस भण्डार से तांबे के वर्तन निकाल कर अनेक पकवान बनाये जाते थे तथा पकवान बनाने के बाद पुनः बर्तनों को भण्डार में रखा जाता था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस प्राचीन भण्डार में असंख्य धातुओं का भण्डार है जिसका अनुमान आज तक नहीं लगाया जा सका। कार्तिक स्वामी मन्दिर समिति अध्यक्ष शत्रुघ्न नेगी बताते है कि भगवान कार्तिक स्वामी के भण्डारे के दिव्य दर्शन करने का सौभाग्य किसी – किसी को मिलता है।