ऊखीमठ : उत्तराखंड की कई तहसीलों में मुख्य प्रशासनिक अधिकारियों, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों को नायब तहसील व तहसीलदारों का कार्यभार दिये जाने का पर्वतीय पटवारी महासंघ, राजस्व निरीक्षक महासंघ के पदाधिकारियों ने विरोध करते हुए कहा है कि यदि प्रदेश सरकार व प्रशासन ने समय रहते प्रशासनिक अधिकारियों को दी गई नायब तहसील व तहसीलदारों का कार्यभार वापस नहीं लिया तो दोनों महासंघों को प्रदेशव्यापी आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी प्रदेश सरकार व प्रशासन की होगी।
यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति में पर्वतीय पटवारी महासंघ व राजस्व निरीक्षक महासंघ के पदाधिकारियों ने बताया कि पूर्व में भी उत्तराखण्ड की कई तहसीलों में प्रशासनिक अधिकारियों को नायब तहसील व तहसीलदार का कार्यभार दिया गया था तथा पर्वतीय पटवारी महासंघ के प्रदेश व्यापी आन्दोलन के बाद प्रशासनिक अधिकारियों को दिया गया कार्यभार वापस लेना पड़ा था मगर इन दिनों कुछ तहसीलों में प्रशासनिक अधिकारियों को फिर से नायब तहसील व तहसीलदार का कार्यभार दिया गया है जो कि राजस्व निरीक्षकों के साथ सरासर धोखा है। पर्वतीय पटवारी महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि किसी भी राजस्व निरीक्षक को 12 महीने का प्रशिक्षण अल्मोड़ा में लेने के बाद चार माह का प्रशिक्षण किसी भी पुलिस थाने में लेने के बाद तीन महीने का प्रशिक्षण पुनः अल्मोड़ा में लेना पड़ता है तथा नायब तहसीलदार को भी तीन महीने प्रशिक्षण लेने के बाद ही कार्यभार सौपा जाता है। जबकि कुछ तहसीलों में बिना प्रशिक्षण लिये प्रशासनिक अधिकारियों को नायब तहसील व तहसीलदार का कार्यभार सौपा जाना सरासर गलत व राजस्व निरीक्षकों के साथ धोखा है। पर्वतीय पटवारी महासंघ रूद्रप्रयाग के संरक्षक जयकृत सिंह रावत का कहना है कि कुछ तहसील में प्रशासनिक अधिकारियों को नायब तहसील व तहसीलदार का कार्यभार सौपा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में 70 प्रतिशत नायब तहसीलदार के पद रिक्त होने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों को कार्यभार देकर राजस्व निरीक्षकों की अनदेखी की जा रही है। पर्वतीय पटवारी महासंघ रूद्रप्रयाग जिलाध्यक्ष मनोज असवाल का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार व प्रशासन द्वारा जिन तहसीलों में प्रशासनिक अधिकारियों को सौपा गया नायब तहसीलदार व तहसीलदार का कार्यभार राजस्व निरीक्षकों को नहीं सौपा गया तो पर्वतीय पटवारी महासंघ व राजस्व निरीक्षक महासंघ को प्रदेश व्यापी आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी प्रदेश सरकार व प्रशासन की होगी।