ब्रिटिश संसद में गूंज उठा ठंडो-रे-ठंडो गीत
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
प्रसिद्ध लोकगायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी को लंदन में डिस्टिंग्विश लीडरशिप इन इंडियन फोक सिंगिंग
(भारतीय लोकगायन में विशिष्ट नेतृत्व) अवॉर्ड से नवाजा गया है। लंदन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स (संसद) में
रविवार को आयोजित ग्लोबल ब्रिलिएंस अवार्ड (जीबीए) कार्यक्रम के दौरान उन्हें यह सम्मान दिया गया। नेगी
27 जुलाई को लंदन पहुंचे थे। इस दौरान ब्रिटिश संसद में उनका मशहूर गीत ठंडो-रे-ठंडो गूंजा, जिस पर वहां
मौजूद प्रवासी भारतीय जमकर झूमे।
दरअसल नेगी दा को 50 सालों से लोकगीत व संगीत के साथ ही अपनी संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए जीबीए की ओर से आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम में भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद लॉर्ड रैमी रेंजर व जैक रैंकिंग ने उन्हें अवॉर्ड देकर सम्मानित किया।उत्तराखंड के मशहूर लोग
गायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी को ब्रिटेन में प्रतिष्ठित ग्लोबल ब्रिलिएंस अवार्ड से सम्मानित किया गया है। ब्रिटेन
की संसद के हाउस ऑफ लॉर्ड्स सदन में आयोजित कार्यक्रम में नेगी दा को लोक संस्कृति और लोक गीत संगीत
में योगदान के लिए Distinguished Leadership in Indian लोक गीत के सम्मान से सम्मानित किया
गया।London के ऐतिहासिक हाउस ऑफ लॉर्ड्स parliament में आयोजित Global Brilliance Award
(GBA) में भारतीय समुदाय के अतिविशिष्ठ लोगों को सम्मानित किया। इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम का आयोजन
IISAF ने किया। अवार्ड विजेताओं का चयन एक ज्यूरी द्वारा किया गया था। सभी विजेताओं को अपने-अपने
क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। उत्तराखंड से नरेन्द्र सिंह नेगी जी को उनके 50 सालों में
लोक गीत संगीत और संस्कृति को प्रोहत्साहन और योगदान के लिए Distinguished Leadership in
Indian Folk Singing से पुरस्कृत किया गया। नेगी जी ने दस हजार से अधिक, कई क्षेत्रीय फिल्मों के लिए
मधुर और मंत्रमुग्ध कर देने वाले गीत गाए।हाउस ऑफ लॉर्ड्स में नेगी दा ने ठंडो रे ठंडो गीत गाकर सभी को
मंत्रमुग्ध कर दिया। इस असर पर नरेंद्र सिंह नेगी ने आयोजकों संदीप बिष्ट का धन्यवाद देते हुए कहा कि वे
पिछले 50 साल से पहाड़ के लोगों के सुख दुःख के गीत गा रहे हैं। और इतने समय तक वो लोक को उतारने में
सफल रहे हैं तो इसके लिए सभी श्रोता धन्यवाद के पात्र हैं। लोकगायक व निर्माता-निर्देशक अनिल बिष्ट व नेगी
दा के भाई पदमेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि वे 27 जुलाई को लंदन पहुंचे। जबकि बीते रविवार 28 जुलाई को
उन्हें यह सम्मान दिया गया। 31 जुलाई को वे देहरादून पहुंचेंगे। नरेंद्र सिंह नेगी के चाहने वालों के लिए आने
वाला अगस्त दोहरी खुशी लेकर आ रहा है। एक तो वह लंदन से सम्मानित होकर लौट रहे हैं, दूसरा 12 अगस्त
को वे 75 साल के पूरे हो जाएंगे। इस उपलक्ष्य में देहरादून में उनके 101 गीतों के संग्रह पर आधारित पुस्तक का
विमोचन भी होगा। उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है कि प्रदेश के प्रसिद्ध लोक गायक, गीतकार और क्षेत्रीय
गढ़वाली भाषा के कवि नरेंद्र सिंह नेगी जो गढ़वाल उत्तराखंड के 'गढ़ रत्न' के नाम से मशहूर हैं, इन्होंने दस
हजार से अधिक मधुर और मंत्रमुग्ध करने वाले गीत गाए हैं, जो कई क्षेत्रीय फिल्मों में शामिल किए गए। पिछले
साल उन्हें भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। श्री नरेंद्र
सिंह नेगी और उनकी पत्नी उषा नेगी जो स्वयं एक गायिका और गीतकार हैं, हमेशा अपने पति की मुश्किलों में
उनकी मदद करती रही हैं और उनकी परछाई की तरह उनके साथ खड़ी रही हैं। जो कई क्षेत्रीय फिल्मों में
शामिल किए गए हैं। पिछले साल उन्हें भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी
पुरस्कार प्राप्त हुआ।नरेन्द्र सिंह नेगी जी पिछले 50 सालों से लोक गीत संगीत और संस्कृति को संजोने और
बढ़ावा देने में जुटे हुए हैं। उनके गाने उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को जीवंत बनाए रखते हैं। उनके
गानों ने उत्तराखंड की लोक संगीत को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। यह सम्मान सिर्फ़
नेगी ही नहीं बल्कि संपूर्ण उत्तराखंड और दो करोड़ से अधिक उत्तराखंडियों का सम्मान है। उन्होंने कहा
कि यह सम्मान आने वाले नये कलाकारों को भी प्रोत्साहित करेगा। उन्होंने कहा कि नेगी ने हमेशा
पहाड़ों के सामाजिक सुखों और दुखों को अपने गीतों से उठाया है और हम आशा करते हैं कि वो आगे भी
ऐसे ही गीत लेखन और गायन को जारी रखेंगे।
(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।)
लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं)।