औली : नंदादेवी एफआइएस स्की स्लोप पर लगे साढ़े 6 करोड़ की लागत की विदेशी “सफेद हाथी” फिर सक्रिय,आर्टिफिशियल स्नो मेकिंग सिस्टम की टेस्टिंग शुरू
अंतराष्ट्रीय शीतकालीन पर्यटन स्थली औली की मेजबानी में नेशनल विंटर गेम्स 2022 को लेकर हिम क्रीड़ा स्थली औली में तैयारी जोरशोर से शुरू। 6.5 करोड की लागत से औली में लगी विदेशी आर्टिफिशियल स्नो मेकिंग सिस्टम की टेस्टिंग फिर हुई शुरू।औली में तापमान में गिरावट आते ही पर्यटन विभाग और जीएमवीएन फिर जुटा करोड़ों की लागत से औली नंदादेवी स्की स्लोप की सूखी ढलानों पर लगी विदेशी आर्टिफिशियल स्नो मेकिंग सिस्टम से बर्फ बनाने की टेस्टिंग शुरू करने में। निगम के तकनीकी स्टाफ सुबह से ही माइनस तापमान में इन स्नो गनों से बर्फ बनाने की टेस्टिंग पर लगे हैं। ताकि समय रहते प्राकृतिक बर्फ की निर्भरता खत्म हो और ढलानों पर आर्टिफीशियल बर्फ की सफेद चादर बिछ सके और विंटर गेम्स शुरू हो सके। बता दें की औली में एक दशक पूर्व विंटर सेफ गेम्स के लिए आस्ट्रेलिया से 6.5 करोड़ की स्नो मेकिंग मशीन खरीदी गई थी। 2011 में टेस्टिंग के दौरान ही एक दिन इस मशीन से औली में बर्फ बनाई गई। लेकिन, विंटर सेफ गेम्स के दौरान प्रकृति ने ऐसी मेहरबानी की कि औली में बर्फ बनाने की इस मशीन की जरूरत ही नहीं पड़ी।लेकिन आज एक दशक बीतने के बाद भी इस विदेशी सिस्टम से औली की नंदा देवी स्लोप पर पर्याप्त बर्फ नही बन सकी नतीजा ये रहा कि कम बर्फबारी के चलते औली में नेशनल विटर गेम्स स्थगित होते रहे।
औली के दक्षिणमुखी ढलान देश दुनिया के स्कीयरों के लिए पहली पसंद रहे हैं। यही कारण है कि वर्ष 2010 में फिस द्वारा औली के 1300 मीटर लंबे ढलान को इंटरनेशनल मानकों में फिट घोषित कर इसे इंटर नेशनल स्तर की मान्यता दी थी।
इस ढलान में चेयरलिफ्ट सहित अन्य सभी सुविधाएं मौजूद हैं। जिससे खिलाड़ियों को स्की ढलान शुरू होने की जगह तक ले जाया जा सके।
विदेशी इंजीनियर भी नहीं कर पाए थे मरम्मतयूरोप से खरीदी गई स्नो मेकिंग मशीन के खराब होने की सूचना पर्यटन विभाग ने निर्माण कंपनी को 2012 में ही दी गई थी। आस्ट्रेलिया से इंजीनियर भी औली आए थे। उन्होंने स्नो मेकिंग मशीन के लिए मरम्मत का प्रस्ताव दिया था। लेकिन तब से हर वर्ष महज खाना पूर्ति बावत मेंटनेंस और टेस्टिंग के नाम पर पर्यटन विभाग बजट खर्च कर उचित तापमान नही मिलने का रोना रोता है। औली के दक्षिणमुखी ढलान देश दुनिया के स्कीयरों के लिए पहली पसंद रहा है।
औली के अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग स्लोप में स्नो गन के माध्यम से यह मशीन आसानी से कृत्रिम बर्फ जितना चाहो बिछा सकती थी, लेकिन मशीन 2011 में टेस्टिंग के बाद दुबारा नहीं चली। मशीन की देखरेख का जिम्मा पर्यटन विभाग व गढ़वाल मंडल विकास निगम के पास था। आइटीबीपी को भी इन बरफीले उपकरणों की देखभाल हेतु सरकार ने प्रस्ताव भेजा था लेकिन उन्होंने भी दिलचस्पी नही दिखाई।
इस ढलान में चेयरलिफ्ट सहित अन्य सभी सुविधाएं मौजूद हैं। जिससे खिलाड़ियों को स्की ढलान शुरू होने की जगह तक ले जाया जा सके।