श्रीनगर: गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित किए जा रहे मिश्रित वन का भ्रमण कर गदगद हुए पद्म श्री कल्याण सिंह रावत “मैती”
कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल की पहल एवं ई. महेश डोभाल के प्रयासों से वर्षों से विश्वविद्यालय की बंजर पड़ी दस हेक्टर भूमि को आबाद किए जाने के परिणाम दिखने लगे हैं। विगत तीन वर्षों में कुलपति के निर्देश एवं मार्ग दर्शन में है प्रेक के वैज्ञानिकों ने बंजर भूमि को मिश्रित वन में तब्दील कर दिया है। स्थिति ये है कि भूमि में लगे सेब के पेड़ दो ही साल में फल देने लगे हैं। चित्रा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम फेज में एक हेक्टेयर भूमि पर लगभग बीस प्रजातियों के 3000 जीवित पौधों का रोपण पेड़ों के रूप में प्रवर्तित होने लग गया है। जामुन, आंवला, रीठा, पीपल, बांज, सेब, हरण, पिलखन, शहतूत, तेजपत्ता, लसोड़ा, डैकन, आम, अनार, लोहकाट, प्लम, खुमानी, अमरूद, लीची, नींबू, टिमरू, इत्यादि के पेड़ों की वृद्धि देख के तो लग रहा है कि पौधे मानो आदमियों को देख के खुशी से झूम रहे हैं। पद्म श्री कल्याण सिंह रावत “मैती” जी ने जब श्रीनगर बुगाड़ी रोड की यात्रा करने पर अपने वाहन से पेड़ों को देखा तो, सोचने लगे कि तीन साल पहले तो इस जगह पर ऐसा कुछ भी नहीं था, सो गाड़ी से उतर कर भूमि का भ्रमण करने निकले। प्रकृति प्रेमी होने के नाते बंजर भूमि पर लहलहाते पेड़ों को देखते ही आंखों में आंसू आ गए। कहने लगे जो प्रयास कुलपति के मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे हैं, सराहनीय हैं। पढ़ाई एवं शोध के साथ साथ, पर्यावरण संरक्षण के लिए बंजर भूमि विकास जैसा महत्वपूर्ण कार्य, हमें गर्व है कि पहली बार पहाड़ की बेटी ने श्रीनगर में पहाड़ जैसा कार्य करवाया है। इस जंगल के विकसित होने से श्रीनगर के आसपास प्रदूषण की समस्या तो कम होगी ही साथ ही लोग भी मन मोहक जंगल का भ्रमण कर आनन्द की अनुभूति कर सकेंगे।