रिपोर्ट रघुबीर नेगी
पंचबदरी व ध्यान बदरी उर्गमघाटी में धूमधाम मनाई जा रही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व। श्रद्धालुओं ने भजन कीर्तन कर पूजा – अर्चना की और नारायण के भजनों पर झूम उठे श्रद्धालु।
जोशीमठ विकास खंड के सूदूरवर्ती अंचलों में बसी उर्गमघाटी के पंचबदरी में विराजमान ध्यान बदरी में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। युवक मंगल दल बड़गिण्डा द्वारा आयोजित भजन कीर्तन संध्या में भक्तों ने जमकर नृत्य किया। जोशीमठ विकास खंड के भविष्य बद्री भर्की एवं महर्षि और्व मुनि की तपस्थली उर्वाऋषि महादेव मंदिर में भी भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई।
भविष्य बदरी में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर झूमे श्रद्धालु
पंचबदरी में विराजमान भगवान ध्यान बदरी उर्गमघाटी के कपाट बारह महीने खुले रहते हैं यहां भगवान नारायण ध्यान अवस्था में विराजमान हैं। पांडवों के अनुरोध पर भगवान कल्पेश्वर महादेव ने इसी स्थान पर पश्चिम मुखी कर भगवान नारायण का ध्यान किया था तब भगवान नारायण प्रकट हुये और और पांडवों को मोक्ष प्राप्ति का वरदान दिया इसी स्थान पर पहला तर्पण करने के बाद पांडव बद्रीनाथ सतोपंथ की ओर चले गये। भगवान शिव द्वारा ध्यान करने के कारण यह स्थान ध्यान बदरी कहलाया और महादेव यहां पर ध्यानेश्वर महादेव नाम से विराजमान हो गये। जग कल्याण के लिए भगवान नारायण पूर्व दिशा मुख करके और भगवान कल्पेश्वर महादेव पश्चिम मुखी ध्यान अवस्था में विराजमान हो गये। पूर्वकाल में बदरीनाथ के रावल जी कपाट खुलने और बंद होने पर यहां एक रात्रि विश्राम करते थे।तब यहां बदरीनाथ के लिए गेहूं घराट में पीसा जाता था। उस समय उर्गमघाटी से बद्रीनाथ के लिए ट्रैक रूट हुआ करता था। जो आज भी मौजूद है ट्रैकिंग के शौकीन आज भी इस मार्ग से बदरीनाथ जाते हैं ।