खतरे को देखते हुए लाली ने भी छोड़ा पगनों गांव, अब दस वर्ष बाद फिर जाएगी मायके!

Team PahadRaftar

संजय कुंवर

पगनों गांव के ऊपर से लगातार हो रहे भूस्खलन से जहां गांव के 50 परिवारों पर संकट मंडरा रहा है। वहीं प्रशासन ने भी खतरे को देखते हुए ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर ठहरने को कहा गया है। दूसरी ओर भूस्खलन से ग्रामीणों के साथ बेजुबान जानवरों पर भी संकट गहराया। खतरे को देखते हुए रीमा देवी ने भी बेजुबान गाय लाली को भी मायका भेजने की तैयारी शुरू दी है। एक दो – दिन में वाहन से लाली को तपोवन भेजा जाएगा।

दस वर्ष पहले रीमा देवी ने अपनी बुजुर्ग सास 80 वर्ष और अपने छोटे बच्चों को दूध पिलाने के लिए अपने मायके तपोवन से एक गाय लाली को लाया गया। जो विगत 10 वर्षों से दूध देती आ रही है। लाली का दूध पीकर बच्चे भी अब बड़े हो गए हैं। लेकिन पगनों गांव के ऊपर पहाड़ी से लगातार हो रहे भूस्खलन से ग्रामीणों के साथ ही पशुओं पर भी संकट पैदा हो गया है। खतरे को देखते हुए रीमा देवी ने लाली को अब फिर मायके भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। अभी उन्होंने गांव से एक किमी दूर सुरक्षित दूसरों के गौशाला में गाय को बांधी हुई है। रीमा देवी ने बताया कि 10 वर्ष पहले मैंने अपने बच्चों के पालन -पोषण के लिए अपने मायके तपोवन से मां से एक गाय लाली को लाया। तब से वह मेरे बुजुर्ग सास और बच्चों को दूध दे रही है। अब आपदा से पूरा गांव खतरे में आ गया है। ऐसे में हम तो कहीं भी इधर-उधर लोगों के घरों में रह लेंगे। लेकिन जिस गाय ने हमें पाला उसे रखने की समस्या बन गई है। ऐसे में मैंने निर्णय लिया कि मां की दी गाय को फिर वाहन से तपोवन भेज दूंगी। जिससे गाय लाली वहां सुरक्षित रहेगी।

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