सरपंचों ने जिला मुख्यालय में अपनी मांगों को लेकर प्रर्दशन कर दिया धरना – पहाड़ रफ्तार

Team PahadRaftar

जिला अधिकारी कार्यालय में वन पंचायत सरपंच संगठन के पदाधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा रविन्द्र नेगी संरक्षक वन पंचायत सरपंच संगठन चमोली के नेतृत्व में जिले समस्त सरपंचों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन व नारेबाजी कर धरना प्रदर्शन किया। वन पंचायत सरपंचों का कहना है कि वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा वन पंचायत सरपंचों का अधिकारों का हनन कर वनों में अवैध खनन करवा कर खनन माफियाओं को संरक्षण देने काम कर रही है। जहां पूरे उत्तराखंड के सभी जनपदों में वर्तमान समय में 12089 वन पंचायतें 544964.17 हेक्टेयर वन भूमि क्षेत्र का प्रबंधन/संरक्षण कर रही है वही सरपंचों को अधिकार विहीन बनाकर कार्य करवाया जा रहा है। रविन्द्र नेगी सरपंच वन पंचायत बेमरू-भर्की ने कहा कि सरपंचों को सिर्फ मुहर पकड़ा कर सरपंच नाम दिया गया है। उनका कहना है कि उत्तराखंड में जिस प्रकार से त्रिस्तरीय पंचायत राज अधिनियम पारित कर पंचायतों अधिकार सम्पन्न बनाकर विकास कार्य के लिए धनराशि आवंटित, पंचायत प्रतिनिधियों को मानदेय दिया जाता व हर पांच साल में गुप्त मतदान करवा कर चुनाव करवाया जाता है। उसी भाॅति वन पंचायतों में सरपंचों को भी मानदेय निर्धारित हो व सरकार धनराशि आवंटित कर वनों को संरक्षित व सुरक्षित के वन्य जीवों को संरक्षित करने का कार्य के साथ अन्य विभिन्न विकास कार्य कर सकते हैं परन्तु बजट का प्रावधान न होने के कारण कार्य नही करवा सकते हैं। जिससे सरपंचों के बीच विरोधाभास रहता है, महेंद्र सिंह चौहान उपाध्यक्ष सरपंच संगठन चमोली ने कहा कि सरपंच अपनी जान जोखिम में डालकर वनों की सुरक्षा कर रहे हैं और अपने को खुद सुरक्षित रहते हैं। जंगलों में खूंखार जंगली जानवरों का भय बना रहता है। बावजूद इसके वे अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निर्वहन करते हैं। सरपंचों का मनोबल बढ़ाने तथा यात्रा एवं अन्य आवश्यक कार्य हेतु उन्हें सम्मानजनक मानदेय जा जाना चाहिए व पूर्व में पारित वन पंचायत नियमावली 2001 में किए गए संशोधनों के अनुसार ब्लॉक जिला एवं राज्य स्तर पर परामर्शदात्री समिति का गठन किए जाने की व्यवस्था थी। लेकिन 21 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक कुछ जिला एवं ब्लाक में परामर्श दात्री समितियों का गठन नहीं किया गया है, जिससे साफ स्पष्ट होता है कि सरकार वन पंचायतों को अधिकार सम्पन्न न बनाकर का शोषण करना चाहती है, धरना प्रदर्शन में श्री बहादुर सिंह रावत अध्यक्ष बनाधिकार समिति चमोली, श्री संग्राम सिंह सरपंच जुगजु, हीरा सिंह सरपंच काणा, विनोद सिंह सरपंच बोंला, सुनील सिंह सरपंच बड़ागांव, महेंद्र सिंह सरपंच भंग्युल, हरीश सिंह सरपंच ढाक, रणजीत सिंह सरपंच रैणी, गुमान सिंह सरपंच जुवाग्वाड राजेंद्र सिंह सरपंच कैलाशपुर, सुनील खत्री सरपंच खेनुरी भुमला, चेता देवी सरपंच खेनुरी, गोपाल सिंह सरपंच रिंगी, रघबीर सिंह सरपंच सुकी, रोहित कुमार सरपंच पपडियाणा, मोहन सिंह सरपंच करछों, वचन सिंह रावत सरपंच सोनला, मनीषा देवी सरपंच धारकोट, शांति देवी सरपंच बरीवाल, गोपाल लाल सरपंच जेथा सरतोली, राजेंद्र सिंह बिष्ट सरपंच सेना सरतोली, गब्बर सिंह सरपंच सुभाई भविष्य, मुन्नी देवी सरपंच मथरपाल, यशवंत सिंह बिष्ट सरपंच सरतोली, दर्शन सिंह राणा सरपंच तिरोसी, अरविंद सिंह सरपंच द्वींग, सीमा देवी सरपंच पाखी, महावीर सिंह पंवार सरपंच जलग्वाड पाखी, यशवंत सिंह पंवार सरपंच सलना, सरिता देवी सरपंच कोंजपोथनी, सोहन सिंह सरपंच जखोला, सुरेंद्र सिंह सरपंच भरकी, कमल किशोर सरपंच रेगड़ी, धीरेंद्र सिंह गरोडिया सरपंच मेहर गांव, विक्रम सिंह सरपंच दाडमी, बीरेन्द्र सिंह सरपंच कुडाव, मीना देवी सरपंच गुनियाला, शांति देवी सरपंच स्यूण, मीना देवी सती सरपंच छिनका, उमा देवी सरपंच पल्ला, सुलोचना देवी सरपंच मजोठी, रघुवीर सिंह सरपंच घाट, धर्मेंद्र सिंह राणा सरपंच लाता, भवान सिंह नेगी सरपंच पडेर गांव, दिनेश सिंह सरपंच ल्वाणी, योगेश्वर सिंह बिष्ट सरपंच सूंग घाट, सुनील कुमार भट्ट सरपंच गोपेश्वर, पूजा देवी सरपंच मासों, धीरेंद्र सिंह सरपंच मेहरगांव, श्रीमती भवानी देवी सरपंच थेंग, प्रकाशसिंह सरपंच ल्यारीथैणा, जगदीश सिंह राणा स्यूण सहित कई सरपंच धरना प्रदर्शन में उपस्थित रहे।

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