संजय कुंवर
साइबेरियन प्रवासी पक्षी क्रेंन (सारस) की दस्तक से पक्षी प्रेमियों में खुशी
जोशीमठ : सरहदी नगर जोशीमठ में इन दिनों पूर्वोत्तर साइबेरियाई क्रेन (सारस) की एक खास प्रवासी दुर्लभ प्रजाति के पक्षी सैंडहिल सारस (क्रोंच) की दस्तक से सीमांत के पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहर है। जोशीमठ के खुले आसमान में यह दुर्लभ खूबसूरत सेंड हिल सारस कुलांचे भरते हुए देखा गया है।
दरअसल सेंड हिल सारस उत्तर अमेरिका और पूर्वोत्तर साइबेरिया में मिलने वाली सारस की एक जाति है, इनकी पूरे विश्व में महज आठ प्रजातियां पाई जाती है, जिनमें 4 प्रजातियां भारत में भी मौजूद है। ये विश्व की सबसे पुरानी पक्षी प्रजाति में एक है। इसका जंतु वैज्ञानिक नाम एंटिगोनी जी कैनाडेनसिस है। ये प्रजातियां यूरोप और उत्तरी एशिया में प्रजनन करती है और सर्दियों में उत्तरी अफ्रीका और चीन और भारत में अपनी दस्तक देती है। वहीं इसकी पांचवीं प्रजाति साइबेरियन क्रेन भारत से विलुप्त हो चुकी है। भारत में ये गंगीय मैदानी प्रदेशों में मिलते है। जो दलदली भूमि, बाढ़ वाले स्थानों, तालाब, परती जमीन और मैदानों खास कर धान के खेतों वाले जगहों पर देखे जा सकते हैं। जो अधिकतर शाकाहारी होते हैं। ग्लोबल स्तर पर इनकी संख्या कम होने से इंटरनेशनल यूनियन ऑफ नेचर कंजर्वेशन द्वारा इसे संकट ग्रस्त प्रजाति घोषित किया हुआ है। मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस में ये प्रजाति विलुप्त हो गई है। भारत में भी ये विलुप्ति के कगार पर है!