गोपेश्वर : उच्च हिमालय में तय समय से पहले खिले दुर्लभ राज्य पुष्प ब्रह्म कमल, श्री लोकपाल हेमकुंट साहिब आस्था पथ में बिखरी ब्रह्म कमल की महक
संजय कुंवर श्री लोकपाल घाटी, घांघरिया
वैश्विक जलवायु परिवर्तन का असर मानें या विगत वर्ष की कम बर्फबारी इस बार जोशीमठ क्षेत्र की भ्यूंडार श्री लक्ष्मण गंगा लोकपाल घाटी में अपने तय समय से पूर्व ही खिला राज्य पुष्प दिव्य ब्रह्मा कमल, हेमकुंट साहिब की यात्रा पर आने वाले श्रधालुओं को हो रहे है देव पुष्प ब्रह्म कमल के अलौकिक दर्शन। गढ़वाल उच्च हिमालयी क्षेत्र अटला कोटी से लेकर श्री लोकपाल हेमकुंट घाटी आस्था पथ में उत्तराखंड का राज्य पुष्प दिव्य ब्रह्मकमल खिल गया है। ओर आस्था पथ पर यह दिव्य पुष्प अपनी महक बिखेर रहा है,उत्तराखंड में इस दिव्य पुष्प की 28 प्रजाति पाई जाती हैं।
यह पुष्प उत्तराखंड में पंच केदार, पांगर चुला,भनाई, नन्दी कुंड, नीलकंठ, काग भुशंडी, चेनाप घाटी, सतोपंथ, डयाली सेरा, ऋषि कुंड, सहस्त्र ताल, रुद्रनाथ छेत्र में खिलता है ब्रह्म कमल पुष्प,
अमूमन जुलाई अंत अथवा अगस्त माह में खिलने वाला दुर्लभ राज्य पुष्प ब्रह्मकमल इस बार मध्य जून में ही खिल गया।
4 हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर खिलता है ब्रह्म कमल पुष्प,ब्रह्मकमल एस्टेरेसी कुल का पौधा है। इसका वैज्ञानिक नाम सिसुरिया ऑब्लिटा है,
लोकपाल घाटी के जानकार ओर प्रकृति प्रेमी रघुवीर सिंह चौहान और राम नारायण भंडारी ने श्री लोकपाल तीर्थ से लौटकर बताया कि इस बार लोकपाल घाटी में समय से पहले ही राज्य पुष्प ब्रह्म कमल खिला हैं। उन्होंने खुद ब्रह्म कमल के दर्शन कर इन दुर्लभ पुष्पो की पहली तस्वीर भी सोशल मीडिया में शेयर की है कहा की पूरी लोकपाल घाटी आजकल दुर्लभ ब्रह्म कमल पुष्प की महक से गुलजार है,ब्रह्मकमल माँ नंदा का प्रिय पुष्प हैं, इसलिए इसे नंदा अष्टमी में तोड़ा जाता है। ब्रह्मकमल साल में एक बार खिलता है जोकि सिर्फ रात के समय खिलता है। जले-कटे में, सर्दी-जुकाम, हड्डी के दर्द आदि में इसका उपयोग किया जाता है। इसे सुखाकर कैंसर रोग की दवा के रूप में इस्तेमाल किया
अल्सर और कैंसर रोग के उपचार में इसकी जड़ों से प्राप्त होने वाले तेल का उपयोग होने से यह औषधीय पौधा होने के साथ ही विशेष धार्मिक महत्व भी है।