सड़क चौड़ीकरण के नाम पर काटे काश्तकारों के खेत, आक्रोश
नीती मलारी हाईवे पर चौड़ीकरण का कार्य कर रही सीमा सड़क संगठन की निर्माण एजेंसी ओइसिस कंपनी द्वारा बिना काश्तकारों को पूछे उनकी काश्तकारी भूमि को काटा जा रहा है। जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से निर्माण कंपनी पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
गौरतलब है कि नीती, मलारी घाटी में भोटिया जनजाति के लोग निवास करते हैं। ग्रीष्मकाल के दौरान वह छह माह तक बार्डर एरिया के 20 से अधिक गांवों में निवास करते हैं। इस दौरान पशुपालन व खेतीबाड़ी के जरिए ही उनकी रोजी रोटी चलती है। जनजाति के लोग आलू, राजमा, फाफर सहित अन्य नकदी फसलों का उत्पादन कर अपनी आजीविका चलाते हैं। इन दिनों नीती मलारी हाईवे पर सीमा सड़क संगठन की निर्माण कंपनी ओइसिस द्वारा सड़क के चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है। निर्माण कंपनी का शुरुआती दौर से ही विरोध हो रहा है। दरअसल, पहले निर्माण कंपनी ने सड़क कटिंग का मलबा डंपिंग जोन में फेंकने के बजाए धौली गंगा व जंगलों में फेंका गया। जिस पर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क ने डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था। इस मामले में ग्रामीण अभी भी विरोध कर रहे हैं। अब कंपनी द्वारा जबरन ग्रामीणों की काश्तकारी भूमि को काटा जा रहा है। बाम्पा गांव के पूर्व प्रधान धर्मेंद्र सिंह पाल का कहना है कि ग्रामीणों की सहमति भी इसमें नहीं ली गई है। साथ ही मुआवजा भी अभी तक नहीं बांटा गया है। उन्होंने कहा कि निर्माण कंपनी ओइसिस तानाशाह रवैया अपना रही है। इसका पुरजाेर विरोध किया जाएगा।