सेहत और खूबसूरती के लिए वरदान है रतनजोत
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
भारतीय खान-पान की परंपरा में मसालों की महत्वपूर्ण भूमिका है. अपने खाने में मसालों के इस्तेमाल से भारतीय रसोई में प्राकृतिक अनाज, सब्जियों और दालों का कायापलट कर दिया जाता है. सामान्य भारतीय रसोइयों में 100 से ज्यादा किस्म के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है. जीरा, धनिया, हींग, रतनजोत, लौंग, छोटी-बड़ी इलायची, तेजपत्ता, दालचीनी, जावित्री, जायफल, सरसों, मेथी, राई, अजवाइन, इमली, अमचूर, सौंफ, कलौंजी, विभिन्न किस्म की मिर्चें, कई तरह के नमक आदि भारतीय रसोई में इस्तेमाल किये जाने वाले आम मसाले हैं. ये मसाले किसी भी आय वर्ग के घर में इस्तेमाल किये जाते हैं देवभूमि उत्तराखंड को प्राकृतिक वनस्पतियों एवम औषधियों की भी जननी कहा जाता है। यह भी कह सकते हैं कि उत्तराखंड प्राकृतिक वनस्पतियों और औषधीय वनस्पति का खजाना है। उत्तराखंड के हिमालय को हिमवंत औषधम भूमिनाम कहा गया है। अतः चरक संहिता में इस क्षेत्र को वानस्पतिक बगीचा भी कहा गया है। उत्तराखंड राज्य में लगभग 500 प्रकार की जड़ी बूटियां पाई जाती हैं जिनमें से कुछ सब्जी, चटनी, कुछ तेल निकालने, कुछ जूस पीने और औषधियों के रूप में प्रयोग में आती हैं। इनसे विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक, यूनानी, तिब्बती, ऐलोपैथिक एवं होम्योपैथिक आदि औषधि के रूप में हैं। जिनसे सौंदर्य प्रसाधन, खाद्य पदार्थ ओर कई तरह के रंग भी बनाये जाते हैं। यह जड़ी बूटियां मुख्य रूप से फार्मक्यूटिक्ल इंडस्ट्री, कॉस्मेटिक इंडस्ट्री, परफ्यूम और फ़ूड इंडस्ट्री में प्रयोग होती हैं भारतीय किचन में रतनजोत एक मसाला है और इसका प्रयोग भोजन को बेहतरीन रंग देने के लिए किया जाता है. खास बात यह है कि यह भोजन में एक अलग तरह का स्वाद तो पैदा भी करता है, साथ ही शरीर के लिए भी गुणकारी है. जिस भोजन को ‘अलग तरह का लाल रंग’ प्रदान करना हो, उसके लिए रतनजोत माकूल है. यह विदेशी पेड़ से निकला मसाला है, लेकिन भारत के कुछ राज्यों में इसकी खूब उपयोगिता है. कुछ खास तरह के आहार में यह मसाला विशेष रंगत भर देता है.मटन की स्पेशल डिश ‘रोगनजोश’ को देता है रंगतरतनजोत के पेड़ की विशेषता यह है कि इसके पत्तों, फल, छाल से लेकर जड़ तक का प्रयोग होता है. इन सबका इस्तेमाल अलग-अलग तरह से होता है. भोजन के लिए इसकी छाल और जड़ें इस्तेमाल की जाती है. इनका स्वाद बिल्कुल अलग तरह का माना जाता है, कुछ-कुछ मैटेलिक जैसा. इनमें से निकलने वाला रंग गाढ़ा लाल के अंदर बैंगनी रंग लिए हुए होता है, जो भोजन में अलग ही रंगत भरता है. पहले रतनजोत (मसाला) का प्रयोग जम्मू-कश्मीर और हिमाचल के विशेष व्यंजनों में किया जाता था, लेकिन अब पूरे भारत के उन आहार में इसका प्रयोग किया जा रहा है, जिसकी ग्रेवी में खास रंगत देनी हो. रतनजोत को एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्वों का बेस्ट सोर्स माना जाता है. वहीं रतनजोत में फ्लेवोनोइड्स, नेफ्थोक्विनोन, शिकोनिन और अल्केनेस नामक पदार्थ भी भरपूर मात्रा में मौजूद रहता है. ऐसे में बालों पर रतनजोत पाउडर और तेल का इस्तेमाल करने से आपको हेयर फॉल, डैंड्रफ और सफेद बालों की समस्या से रतनजोत बालों को लम्बा, घना, मजबूत और चमकदार रखने में भी बेहद मददगार साबित होता है. हिमालय के जोहार इलाके में पाई जाने वाली भेषज जीवनदायिनी हैं. अपनी विशिष्ट जैव विविधता के कारण यह समूचा इलाका उत्कृष्ट कोटि की गुणवत्ता वाली भेषजों का भंडार है. अब मात्र प्रकृति के दोहन से ही नहीं बल्कि औषधिय पौंधों की वैज्ञानिक खेती की तरफ रुझान बढ़ा है. अविवेक पूर्ण नीतियों और वन विदोहन से जड़ी बूटियों के अवैध व्यापार को नियंत्रित करने की जरुरत सबसे ज्यादा है इसलिए इन भेषजों की विज्ञान सम्मत जैविक खेती के साथ ही इनके विपणन, भण्डारण और मूल्य वर्धन तंन्त्रों का विकास भी जरुरी है. रत्नजोत के पौधे की जड़ें गहरे लाल भूरे रंग की होती हैं जबकि इस पौधे के फूल नीले रंग के होते हैं। इस पौधे का सबसे उपयोगी हिस्सा जड़ है। कृत्रिम खाद्य रंग के समय में, यह कश्मीर के व्यंजनों को एक प्राकृतिक लाल रंग प्रदान करता है। जड़ के बारे में एक दिलचस्प और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह पानी में नहीं घुलती है। यह केवल तेल, ईथर या अल्कोहल में घुलती है। जब कोई इस मसाले का उपयोग करना चाहता है तो उसे 2-3 बड़े चम्मच घी में लगभग एक चम्मच रतनजोत को भूनने की प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। रतनजोत मसाले को भूनते समय घी सबसे अच्छी खुशबू देता है। फिर तरल को जड़ से अलग करने के लिए तरल को छानना चाहिए। करी में इस भारतीय मसाले को मिलाने से करी को एक सुंदर लाल ज्वलंत रंग मिलता है और साथ ही दिलचस्प बात यह है कि करी बहुत तीखी और मसालेदार नहीं बनती है।अंग्रेजी में इसे फिजिक नट कहा जाता है और घर और रसोई में इस मसाले का इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल पाउडर के रूप में, रतनजोत तेल के रूप में और यहां तक कि रतनजोत मसाला के रूप में भी किया जा सकता है।इस भारतीय मसाले से जुड़े कई स्वास्थ्य लाभ हैं। यह त्वचा के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह सूजन को कम करता है और त्वचा को साफ करता है। यह जलने के निशानों को ठीक करने में भी मदद करता है (इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा से गर्मी को दूर करते हैं और इससे त्वचा को ठंडक मिलती है)। यह हृदय और प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। मसाले में मौजूद रसायन रक्तप्रवाह से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। माथे और नाक के आस-पास रतनजोत के तेल को लगाने से व्यक्ति को आराम मिलता है जिससे व्यक्ति शांत महसूस करता है। यह नींद की गुणवत्ता में भी सुधार करता है और अनिद्रा से लड़ने में मदद करता है। बुखार के दौरान, इस भारतीय मसाले के इस्तेमाल से व्यक्ति को पसीना आता है जिससे बुखार कम हो जाता है। रतनजोत से मिलने वाले प्राकृतिक रंग से बालों को भी लाभ होता है र यह बालों के विकास को बढ़ावा देने में भी मदद करता लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।
लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।