जोशीमठ : पूर्वी आस्था लोक महापर्व छट पूजा की बिखरी छटा, उगते हुए भगवान भाष्कर को अर्घ्य देकर सम्पन्न हुआ व्रत

Team PahadRaftar

जोशीमठ : पूर्वी आस्था लोक महापर्व छट पूजा की बिखरी छटा, उगते हुए भगवान भाष्कर को अर्घ्य देकर सम्पन्न हुआ व्रत

संजय कुंवर जोशीमठ

कहते है कि जिसका ‘उदय’ होता है उसका ‘अस्त’ होना तय है लेकिन पूर्वी लोक आस्था का महा पर्व “छठ पर्व” सिखाता है जो ‘अस्त’ होता है उसका ‘उदय’ तय है।
नहाय-खाय के साथ शुरू हुए पूर्वी समाज को समर्पित लोक आस्था के महापर्व छठ का आज चौथा और अंतिम दिन उगते सूर्य भगवान को अर्घ्य अर्पित करने के साथ इस महापर्व का समापन हुआ। जोशीमठ नगर में भी इस लोक पर्व छट पूजा की छटा बिखरी रही इस पर्व को लेकर गांधी मैदान में दो दिनों से काफी चहल पहल रही,यहां बने अस्थाई पूजा मंडप और पोखर में रविवार ओर सोमवार को नगर के पूर्वी समाज के ब्रतियों ने अस्तलचल गामी और उदयांचल गामी सूर्य को विधि विधान से अर्घ्य दिया। कुछ ब्रती छटी मैय्या से मनोकामना पूरी होने पर घर से ही पूजा मंडप तक दंड लगा कर पहुंचे।कल रविवार को अस्तलचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया था। आज सुबह ढोल नगाड़ों ओर आतिशबाजी के साथ उदयांचल सूर्योदय में भगवान भाष्कर को आस्था पूर्वक अर्घ्य देकर इस लोक पर्व का समापन हुआ। जोशीमठ में व्यवसाय कर रहे पूर्वी समाज के किशोर ठाकुर,मनीष सोनी सहित अन्य लोगों ने पालिका प्रशासन से प्रती वर्ष होने वाले इस महा पर्व के लिए गांधी मैदान में ही वैकल्पिक व्यवस्था देने की मांग की है,ताकि इस महा पर्व को मनाने के लिए उनको अन्यत्र न भटकना पड़े। इस मौके पर नगर पालिका अध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार ने सभी पूर्वी समाज के लोगों को अपनी शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि भगवान ”सूर्यदेव और प्रकृति की उपासना को समर्पित यह महापर्व छठ की सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई। भगवान भास्कर की आभा और छठी मईया के आशीर्वाद से हर किसी का जीवन सदैव आलोकित रहे, यही कामना है।

Next Post

आस्था : पूर्वांचली लोगों ने छट पर्व पर दिया डूबते हुए सूरज को अर्घ्य, व्रतियों ने की मंगल कामना - केएस असवाल

गौचर : गौचर में बसे पूर्वांचली लोगों ने डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देखकर व्रतियों ने की मंगल कामना की। उत्तराखंड में भी पूर्वांचल समुदाय के लोक आस्था के महापर्व छठ की छटा पूजा अलकनंदा नदी घाट पर देखने को मिली। रविवार की सुबह व्रतियों ने बांस की टोकरी में […]

You May Like