देश का गौरव सैनिक
मैं भारत देश का सैनिक
तन पे वर्दी पहन कर
हाथों में शस्त्र लेकर खड़ा हूँ
निगाहें मेरी सामने दुश्मन पर
दो देशों की सीमाओं के बीच
डटा हूँ
युद्ध विराम हुआ है अभी
सिंहनाद की हुंकार पे रुका हूँ
मृत्यु का मुझे तनिक भी भय नहीं
लहू की अंतिम बूँद तक टिका हूँ.
कटा अंग मेरा युद्ध का प्रत्यक्ष प्रमाण है
युद्ध में अगर जो शीश कटे मेरा
मेरे लिये मेरी सैनिक धर्म महान है
ध्वजा का गौरव सदैव बना रहे
युद्ध में मेरा बलिदान होना आसान है.
मेरे सैनिक धर्म की तपस्या
पूरी हुई है आज
मिला है मुझे शौर्य सिद्ध के साथ.
अमर जवान की ज्योति का वरदान
अब मेरी माँ के नैनों से निकले
पवित्र मोती जैसे अश्रु सँभाल लेना
बलिदान मेरा व्यर्थ न जाये
मुझ जैसे शहीदों की माँ को
हौंसले के साथ थोड़ा सम्मान देना
माँ वर्दी जो छोड़ी थी घर में
जब भी शहीद बेटे की याद आये
सौ – सौ बार मेरी वर्दी पहन कर
मेरा नाम लेकर मुस्कुरा देना.
राहुल रावत
चमोली उत्तराखंड