ऊखीमठ। गढ़वाल विश्व विद्यालय श्रीनगर गढ़वाल की पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो0 उमा मैठाणी द्वारा रचित लघु पुस्तक महाकवि कालिदास की जन्मभूमि कविल्ठा का लोकार्पण समारोह कालीमठ घाटी के कविल्ठा में हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद श्रीनगर व महाकवि कालिदास जन्म भू स्मारक समिति कविल्ठा के सयुक्त तत्वावधान में किया गया जिसमें जनप्रतिनिधियों, साहित्यकार, पत्रकारों व ग्रामीणों ने बढ़- चढ़ कर भागीदारी की। लोकार्पण समारोह में श्रीनगर सहित विभिन्न क्षेत्रों से कविल्ठा पहुंचे कवियों ने अपने कविताओं के माध्यम से देवभूमि उत्तराखंड व महाकवि कालिदास की महिमा का गुणगान किया। लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए ऊखीमठ क्षेत्र के आचार्य घनानन्द मैठाणी ने कहा कि महाकवि कालिदास ब्रह्माण्ड के कवि रहे हैं इसलिए उनकी जीवनी में जितना प्रकाश डाला जाय उतना कम है।
लघु पुस्तक की लेखक प्रो0 उमा मैठाणी ने कहा कि यह मेरा छोटा सा प्रयास था भविष्य में महाकवि कालिदास की जीवनी को गागर में सागर भरने के प्रयास किये जायेंगे। कालिदास जन्म भू स्मारक समिति के अध्यक्ष बीरेन्द्र सिंह रावत ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कालीमठ घाटी सदैव महान तपस्वियों की जननी रही है। लोकार्पण की अध्यक्षता जी आई सी कोटमा के प्रधानाचार्य संजीव कुमार गुप्ता व संचालन आचार्य सुरेशानन्द गौड़ ने किया। लोकार्पण समारोह में राजकीय हाई स्कूल कालीमठ की छात्राओं ने सरस्वती वन्दना, स्वागत गीत प्रस्तुत किये। लोकार्पण समारोह में गुप्तकाशी की कवियत्री उपासना सेमवाल, पौड़ी की कवियत्री ऋतु नेगी, श्रीनगर कवि देवेन्द्र उनियाल, पूर्व नगर पालिका अध्य्क्ष कृष्णानन्द मैठाणी, डा0 प्रकाश चमोली, डा0 विमल बहुगुणा, श्रीमती रेखा रावत नेगी, नीरज नैथाणी, बृजमोहन मेवाड़, अजय चौधरी ने अपने कविताओं के माध्यम से देवभूमि उत्तराखंड की महिमा व महाकवि कालिदास के जीवन पर गहनता से प्रकाश डाला जिसका दर्शकों ने देर सांय तक भरपूर आनन्द उठाया । इस मौके पर डा0 आर के थपलियाल, मदन लाल डंगवाल, सीता राम बहुगुणा डा0 विनीता चमोली, रक्षा उनियाल, प्रधान कविल्ठा अरविन्द राणा, त्रिलोक रावत, आशा सती, राकेश रावत, उपहार समिति अध्यक्ष विपिन सेमवाल, लक्ष्मण सिंह सत्कारी, मनवर चौहान, वेदपाठी रमेश चन्द्र भटट्, दलवीर सिंह तिन्दोरी, सन्दीप भटट्, बलवन्त रावत, बशीधर गौड़, श्रीमती भागा देवी, कृपाल सिंह राणा सहित विभिन्न गांवों के जनप्रतिनिधि, साहित्यकार व ग्रामीण मौजूद थे!