योगाहार में प्राकृतिक खेती को समर्पित” पहली हिंदी कविता की प्रस्तुति
हरिद्वार : दैनिक स्वैच्छिक योगाहार के १०३३ वें दिवस पर कार्यक्रम के वरिष्ठ सदस्य पवन कुमार ने अपनी हिंदी कविता प्राकृतिक खेती को समर्पित ६ खंडों में प्रस्तुत की. प्रथम खंड में ‘प्रकृति वंदन’ के अंतर्गत उन्होंने धरती के प्रति मानव कर्तव्य को दर्शाया और धरती को जीवंत प्राणी मानव की संज्ञा देकर उसके अधिकारों पर भाव प्रकट किये. कि ‘’हम बच्चे धरती माता के, आओ इसे नमन करें. विकास तो करें लेकिन प्रकृति के मानव अधिकारों का नहीं हनन करें. द्वितीय भाग में ‘वर्तमान परिदृश्य एवं संवेदनशीलता’ पर केन्द्रित रहा. इसमें जहां किसानों के द्वारा उत्पन्न विषमुक्त अन्न के महत्त्व की बात थी, वहीं प्रकृति के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)की अनदेखी कर उत्पात मचा रहे किसानों पर भी तंज कसा गया. कवि ने प्राकृतिक खेती के हितधारकों के रंग-ढंग पर भी बात रखी. इस भाग में कृषि सखियों द्वारा संकल्प लिया जाना; गृहणियों द्वारा अपने परिवार को शुद्ध भोजन मुहैया करने के प्रयास; सरकारी दफ्तरों में जैविक खेती को गति देने जैसे सकारात्मक अभ्यास को दर्शाया गया. साथ ही प्राकृतिक खेती के जुनून में उन्होंने मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की संख्या में बढ़ोतरी, धरती पर गौ-माता के प्रति बढ़ती सम्मान, मधुमक्खी और अन्य परागण करने वाले कीटों की स्थिति के साथ ही जैविक खेती के प्रति किसानों द्वारा जुनून के साथ कार्य करने की बात को भी स्थान दिया. भाग पांच में कवि धरती के प्रति समर्पण को दिखाता है, वहीं उपसंहार के रूप में वह सरकार से अनुरोध करता है कि अमृत काल के रूप में हमारे पास देश के चौमुखी विकास का सुअवसर आया है, अब तो जनता-जनार्दन के सभी कार्य बिना विघ्न-बाधा के संपन्न किए जाने चाहिए, अभी समय है, सही समय है आगे बढ़ो सरकार. प्राकृतिक खेती के दम पर ही कहलाओगे पालनहार, इस तरह से श्री पवन कुमार जी ने कृषि-जगत के समसामयिक प्रश्न और चुनौतियों की प्रस्तावना कविता के रूप में उजागर की और समस्या-समाधान युक्त उपसंहार को साहित्यिक सरसता के साथ प्रस्तुत किया. कविता के रूप में विभिन्न उप-विषयों पर इस सरल प्रस्तुति को श्रोताओं ने खूब सराहा और रुचिकर बताकर अपनी-अपनी टिप्पणियां भी दीं. इस क्रम में यूएसए से श्री संजय कपूर; उत्तराखण्ड से डॉ विनोद भट्ट, डॉ हरिराज सिंह, उत्तर-प्रदेश से श्रीमती मिथलेश सिंह; महाराष्ट्र से डॉ किशोर दुबे, श्रीमती प्रणाली मराठे; असम से श्रीमती जूली अग्रवाल; मध्यप्रदेश से श्री हीरालाल कुशवाहा, श्री मुन्नीलाल, श्री शरद वर्मा, श्रीमती कल्पना कोठले ने भी अपनी अभिव्यक्ति दीं. इस अवसर पर विभिन्न प्रदेशों से ७० से भी अधिक किसान प्रतिनिधियों के साथ ही विदेश से भी योगाहार के सदस्य जुड़े. कार्यक्रम के पहले दिन उतराखंड से पद्मश्री श्री प्रेम चंद शर्मा और बनारस से गीतकार डॉ दुर्गेश उपाध्याय एवं द्वितीय दिवस पर योगगुरु श्री आदित्य देव जी भी उपस्थित रहे. ऑनलाइन मंच-सञ्चालन दिनेश चन्द्र सेमवाल ने किया. कार्यक्रम का समन्वय जनसेवक श्री मुन्नीलाल यादव एवं श्रीमती रंजना किन्हीकर ने किया.