कविता संग्रह प्रकृति के रंग का ऑनलाइन हुआ विमोचन
हरिद्वार : योगाहार ऑनलाइन कार्यक्रम में इन दिनों कविता संग्रह ‘’प्रकृति के रंग’’ खूब चर्चा में है. इस संग्रह के मुख्य रचनाकार योगाहार के वरिष्ठ सदस्य पवन कुमार हैं . इस संग्रह का विमोचन ऑनलाइन योगाहार कार्यक्रम में किया गया.
प्रकृति को समर्पित इस संग्रह को आचार्य बालकृष्ण सहित भारत के कृषि एवं प्रकृति प्रेमियों द्वारा भी खूब सराहना मिली है. पुस्तक में प्रस्तुत सभी रचनाएँ प्रकृति, खेती, योग और आहार तथा बीज संरक्षण को समर्पित हैं. इस पुस्तक के कवर पेज की थीम प्रकृति को समर्पित है जिसमें सभी जीवों के केंद्र बिंदु में गाय को रखा गया है. हिंदी कविता संग्रह का अंग्रेजी अनुवाद भी इस पुस्तिका में पढ़ने को मिल जायेगा. इस संग्रह में योगाहार गाथा; प्रकृति का व्यापार; समस्याओं का चक्र; जीवो जीवस्य जीवनम; मिट्टी की भक्ति आदि प्रकृति आधारिक कविताओं के साथ ही बीज गीत; जैविक खेती करते चलो; कृषि कानूनों में कर लो सुधार जैसे समसामयिक गीत पाठकों को खेती-किसानी और प्रकृति से जोड़ते हैं. कविताओं के साथ ही इस संग्रह में गीत नाटिका को स्थान दिया गया है.
आचार्य बालकृष्ण जी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं, ‘’प्रकृति का सानिध्य पाकर असाध्य कार्य भी सरलता के साथ संपन्न किया जा सकता है, यह कविता संग्रह भी ऐसी ही प्रेरणा देता है.’’ वहीं रचनाकार पवन कुमार जी जानकारी देते हैं, ‘’समय-समय पर योगाहार कार्यक्रम में हुई वार्ताओं, सफल प्रयोगों और प्राप्त अनुभवों से प्रेरित होकर ये सभी कविताएँ रची गई हैं’’. लगभग 90 पृष्ठों की इस पुस्तक में डॉ किशोर दुबे, मुकेश मालवीय और हीरालाल कुशवाहा के साथ ही दिनेश सेमवाल की कविता को भी स्थान मिला है. कविता संग्रह को QR कोड और यूट्यूब लिंक के माध्यम से इन्टरनेट पर देखा और सुना जा सकता है.