तिरंगे में जो आये हो तुम्हारी शान जिंदा है, अपनें लहू के एक एक कण से मैं जय जवान जय किसान लिखूंगी, अखिल भारतीय कवि सम्मलेन का हुआ आयोजन, देशप्रेम और श्रृंगार की कविताएं रही आकर्षण
पीपलकोटी
बंड मेले के 6 वें दिन अखिल भारतीय कवि सम्मलेन आयोजित किया गया। जिसमें विभिन्न कवियों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति से मन मोहा। कवि अवनीश मलासी ने तिरंगे में जो आये हो तुम्हारी शान जिंदा है, तुम्हारी वीरता वाली वही पहचान जिंदा है। तुम्हारे सांस लेने से तिरंगा लहलहाता था, तुम्हारे प्राण देने से ये हिन्दुस्तान जिंदा है। कवि सागर डंगवाल ने उसे भरम है वह चुटकियों में बहला लेगी मुझे, भरम तोड़ते हैं चुटकियां बजाई जाए.., सौ गज में सिमट गए अब हम, ये गांव वाला घर नहीं है। कवि धर्मेन्द्र उनियाल ‘धर्मी’..मैं झूला तो ख़रीद लाया हूं मगर आंगन में शज़र नहीं है.
कवियत्री शशी देवली ने अपनें लहू के एक एक कण से मैं जय जवान जय किसान लिखूंगी, मैं ऐसा हिंदुस्तान लिखूंगी.., जसवीर सिंह हलधर नें देश के ध्वज का हमेशा मान होना चाहिए, कवि रजा तिवारी ने रात है ये जवां तन्हा कैसे रहूं, कविताओं के जरिए लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवि सम्मलेन का संचालन धर्मेन्द्र उनियाल धर्मी ने किया। कवि सम्मलेन में लोगो में जमकर तालियां बजाई।