बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का वैकल्पिक मार्ग पीपलकोटी – मठ – बेमरू – गोपेश्वर सड़क को विकसित करने की जरूरत

Team PahadRaftar

बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का वैकल्पिक मार्ग पीपलकोटी – मठ – बेमरू – गोपेश्वर सड़क को विकसित करने की जरूरत

संतोष कुंवर

संकट की घड़ी में हमेशा वैकल्पिक मार्ग ही काम आए हैं। 2013 की आपदा में नेशनल हाईवे ध्वस्त होने पर गुप्तकाशी – टिहरी मोटर मार्ग लाइफ लाइन साबित हुई। चमोली में भी बदरीनाथ नेशनल हाईवे 2013 की आपदा हो या फिर बदरीनाथ हाईवे नंदप्रयाग – चमोली के बीच बाधित होने पर वैकल्पिक नंदप्रयाग – सैकोट मोटर मार्ग ही जीवन रेखा साबित होती रही है।

 

शुक्रवार को बदरीनाथ हाईवे भूस्खलन होने से छिनका के पास बाधित हो गई। जिसको खोलने में लगभग 18 घंटे लग गए। इस बीच बदरीनाथ हाईवे के दोनों ओर हजारों श्रद्धालुओं के साथ स्थीनाय लोग भी फंसे रहे। जिन्हें दोपहर बाद चमोली प्रशासन द्वारा वैकल्पिक मार्ग पीपलकोटी – मठ – बेमरू होते हुए गोपेश्वर भेजा गया। इस तरह सैकड़ों वाहनों और हजारों श्रद्धालुओं को वैकल्पिक मार्ग से गंतव्य के लिए भेजा गया। और पीपलकोटी – मठ – बेमरू – गोपेश्वर मोटर मार्ग लाइफ लाइन साबित हुई। चमोली – पीपलकोटी नेशनल हाईवे चौड़ीकरण कार्य के चलते वर्षा ऋतु में अधिकतर बाधित होती रही है। ऐसे में शासन – प्रशासन को गोपेश्वर – घिंगराण – झडेता- बेमरू – मठ – पीपलकोटी सड़क को विकसित किया जाना चाहिए? जिससे बदरीनाथ हाईवे बंद होने की स्थिति में वैकल्पिक मार्ग से भी सरलता से तीर्थयात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचाया जा सकता है। वर्तमान में इस वैकल्पिक मार्ग की स्थिति ठीक नहीं है। जगह – जगह गड्ढों के साथ ही बहुत जगहों पर संकरा बना है। और कही स्थान पर मोटर पुल प्रस्तावित हैं, लेकिन विभाग की लापरवाही के चलते जिनका कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा है। शासन – प्रशासन को आपदा से सबक लेते हुए वैकल्पिक मार्ग की ओर ध्यान देते हुए इसे विकसित किया जाना चाहिए।

इससे स्थानीय लोगों को जहां सुरक्षित यातायात का लाभ मिलेगा। वहीं आपतकाल में तीर्थयात्रियों को यहां से सुरक्षित आवाजाही करायी जा सकेगी। मठ झडेता के प्रधान संजय राणा ने बताया कि बदरीनाथ हाईवे छिनका में बंद होने पर तीर्थयात्रियों के सैकड़ों वाहन वैकल्पिक मार्ग से अपने गंतव्य तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि शासन – प्रशासन को वैकल्पिक मार्ग को और अधिक विकसित करने की जरूरत है। जिससे स्थानीय लोगों के साथ ही तीर्थयात्रियों को इसका लाभ मिलेगा। साथ ही स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे।

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