बाटुला गांव में शिक्षिका के स्थानांतरण पर विदाई के समय भावुक हुए अभिभावक
चमोली जिले के प्राथमिक विद्यालय बाटुला में 11 वर्षों तक सेवा देने के बाद जब शिक्षिका की पदोन्नति दूसरे विद्यालय में हुई तो ग्रामीणों ने शिक्षिका को नम आंखों से विदाई दी। शिक्षिका को विदा करते वक्त गांव की महिलाओं की आंखें छलक पड़ी। शिक्षिका के कार्यकाल के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में हुए अभूतपूर्व कार्यों का ही परिणाम है कि विदाई के वक्त भावुक महिलाओं ने शिक्षिका को गले लगाने के बाद इस तरह विदा किया जिस प्रकार एक बेटी को उसके मायके से ससुराल के लिए विदा करते हैं।
दरअसल, वर्ष 2010 में चमोली कस्बे की निवासी अनीता वर्मा की तैनाती बतौर सहायक अध्यापिका दशोली विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय बाटुला में हुई। पिछले 11 सालोंं से वह इसी विद्यालय में अपनी संवाएं दे रही हैं। इस सत्र में शिक्षा विभाग में पदोन्नतियां हुई तो अनीता वर्मा भी पदोन्नति के बाद स्थानांतरित होकर प्राथमिक विद्यालय गडोरा में तैनाती देने से पहले बाटुला गांव पहुंची। ग्रामीणों ने शिक्षिका की विदाई के लिए समारोह का आयोजन किया। जब कार्यक्रम समाप्त हुआ और शिक्षिका गांव से विदा हुई तो महिलाएं भावुक हो गई। महिलाओं ने पहले शिक्षिका को फूल मालाओं से लादा। उसके बाद बारी बारी से उनको गले लगाते वक्त महिलाएं फफक फफककर रो पड़ी। गांव की महिला मंगल दल अध्यक्षा संगीता नेगी ने बताया कि जब अनीता वर्मा की तैनाती 11 वर्ष पूर्व प्राथमिक विद्यालय बाटुला में हुई तो उस दौरान यहां की छात्र संख्या महज पांच या छह थी। उन्होंने बताया कि यहां तैनाती के बाद शिक्षिका ने घर घर जाकर बच्चों को पढ़ाया।
शिक्षिका ने विद्यालय में अतिरिक्त कक्षाएं भी संचालित की। शिक्षिका की मेहनत का ही नतीजा है कि आज इस विद्यालय में 35 छात्र छात्राएं अध्ययनरत हैं। गांव की गीता पंवार कहती हैं कि सरकारी विद्यालय में पढ़ाई के नाम पर क्या होता है यह सब जानते हैं। परंतु अनीता वर्मा की यहां तैनाती के बाद जिनके पाल्य पीपलकोटी व आसपास के क्षेत्र में निजी विद्यालयों में थे उन्हें वापस प्राथमिक विद्यालय में दाखिला दिलाया गया। शकुंतला देवी कहती हैं कि शिक्षिका गांव के बच्चों को अपने बच्चों की तरह पढ़ाती थी।
गांव की महिला मंगल दल अध्यक्षा संगीता नेगी ने बताया कि जब अनीता वर्मा की तैनाती 11 वर्ष पूर्व प्राथमिक विद्यालय बाटुला में हुई तो उस दौरान यहां की छात्र-छात्राओं की संख्या महज 5-6 थी। उन्होंने बताया कि शिक्षिका की मेहनत का ही नतीजा है कि आज इस विद्यालय में 35 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। गांव की गीता पंवार कहती हैं कि सरकारी विद्यालय में पढ़ाई के नाम पर क्या होता है यह सब जानते हैं। परंतु अनीता वर्मा की यहां तैनाती के बाद जिनके पाल्य पीपलकोटी व आसपास के क्षेत्र में निजी विद्यालयों में थे उन्हें वापस प्राथमिक विद्यालय में दाखिला दिलाया गया। शकुंतला देवी कहती हैं कि शिक्षिका गांव के बच्चों को अपने बच्चों की तरह पढ़ाती थी।