आठ साल की नौकरी में पंकज का पहला मनहूस रविवार – संजय कुँवर तपोवन

Team PahadRaftar

आठ साल की नौकरी में पंकज का पहला मनहूस रविवार

संजय कुँवर तपोवन

7 फरवरी एक ऐसी मनहूस तारीख है जिसने न जाने कितने घरों के सपनों को बर्बाद कर के रख दिया। इस मनहूश दिन को कोई शायद ही भूल पायेगा। जिसने लगभग 200 से ज्यादा जिंदगियां लील दी। ऐसा ही जोशीमठ के ढाक, कुंडी खोला निवासी आनन्द सिंह फर्स्वाण एवं उमादेवी के घर पर भी ये कहर बरपा है। इन दोनों माता पिता के 2 बेटे एवं एक बेटी हैं लेकिन 7 तारीख के जलजले में इनका बड़ा बेटा पंकज फरस्व़ाण भी खो गया, जो अब तक नही मिल पाया है। 36 वर्षीय पंकज बहुत ही मिलनसार और शांत किस्म का लड़का था।

पंकज के दो छोटे – छोटे बच्चे हैं एक लड़की व एक लड़का। घर में पत्नी अब भी पंकज की राह देख रही है। बताते हैं कि जब यह सैलाब आया था पंकज भी बचने के लिये दौड़ पड़ा था पर शायद वो जब तक सुरक्षित स्थान पर पहुंचता तब तक देर हो चुकी थी। ये भी किस्मत का खेल है कि 8 साल की नौकरी में पंकज का ये पहला संडे रहा जिसमें वो ड्यूटी करने गया और यही सैलाब में सदा के लिए खो गया,पंकज की माँ उमा देवी बहुत ही परेशान है और अपने बेटे की राह निहार रही है। वो घटना के दिन परियोजना के समीप ही अपने मायके भँग्यूल गयी थी औऱ उसके ठीक सामने ही यह घटना घटित हुई।भँग्यूल गांव के सम्पर्क पुल के बह जाने से उमा देवी को हैली की मदद से घर लाया गया। पंकज के घर की स्थिति भी बहुत नाजुक है। पंकज NTPC परियोजना में रोजगार कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था किंतु नियति ने परिवार से उसके बेटे को असमय ही छीन लिया है।

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