ऊखीमठ । राजकीय पालीटेक्निक चोपता तल्ला नागपुर का भवन निर्माण विगत आठ वर्षों से अधर में लटकने से स्थानीय जनता में शासन – प्रशासन के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है जो कि कभी भी सड़कों पर फूट सकता है। निर्माणाधीन भवन का निर्माण कार्य अधर में लटकने से नौनिहालों को विगत आठ वर्षों से निजी भवन में शिक्षा ग्रहण करने पड़ रही है। स्थानीय जनता व संस्थान द्वारा भूमि हस्तान्तरण के लिए कई बार पत्रावलियां जारी की गयी है मगर पत्रावलियों के राजस्व व वन विभाग की फाइलों में कैद रहने से वन भूमि हस्तान्तरण की कार्यवाही गतिमान नहीं हो पा रही है।
बता दें कि चोपता तल्ला नागपुर पालीटेक्निक को वर्ष 2013 में वित्तीय स्वीकृति मिली थी तथा वर्ष 2014 में भवन का निर्माण शुरू हुआ था तथा पालीटेक्निक के भवनों का निर्माण कार्य तीन चरणों में किया जाना था मगर वर्ष 2015 में वन भूमि हस्तान्तरण की कार्यवाही पूरी न होने के कारण भवन निर्माण पर रोक लगाई गयी थी मगर आठ वर्ष से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी वन भूमि हस्तान्तरण की पत्रावलियया राजस्व व वन विभाग की फाइलों में कैद रहने से भवन का निर्माण कार्य अधर में लटकने से स्थानीय जनता में आक्रोश बना हुआ है। जो कि कभी भी सड़कों पर फूट सकता है। तल्ला नागपुर महोत्सव समिति अध्यक्ष प्रताप सिंह मेवाल का कहना है कि शासन – प्रशासन की अनदेखी के कारण भवन का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है।
पूर्व जिला पंचायत सदस्य गोकुल लाल टमटा का कहना है कि स्थानीय जनता, जनप्रतिनिधियों व संस्थान द्वारा वन भूमि हस्तान्तरण करने के लिए निरन्तर पत्रावलियया जारी की जा रही है मगर पत्रावलिययो पर क्यों कार्यवाही नहीं हो पा रही है यह बात समझ से परे है। ग्रामीण लक्ष्मण सिंह बर्तवाल का कहना है कि वन भूमि हस्तान्तरण के लिए आठ वर्षों का इन्तजार बहुत होता है यदि समय रहते निर्माणाधीन भवन का कार्य शुरू नहीं हुआ तो स्थानीय जनता को सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होना पडे़गा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन – प्रशासन की होगी! दीप राणा पंचम सिंह नेगी का कहना है कि यदि समय रहते निर्माणाधीन भवन का कार्य शुरू नहीं होता है तो स्थानीय जनता को उग्र आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।